SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 512
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सहो सहो . वियाहपण्णत्तिसुत्तंतग्गयाणं सहाणमणुकमो पिट-पंतीए पिट्ठ-पंतीए सुत्त = सुप्त ५७०-११, ५७१-५, ७६१-२, सुन्नकाल ......... २२-१० सुपइगसंठिय सुत्त-सूत्र ८८--१४ सु-पच्चक्खाइ २८०-२ सुत्तग ७६५-७ सु-पच्चक्खाय २७९-११, २८०-१ सुतजागर ५३८-३, ७६१-२ सुपतिट्ठगसंठित-°ठिय २७३-२०,६३८-२३ सुत्तत्त= सुप्तत्व ५७०-६ सुपतिहाभ [विमाण] २५४-४ सुत्तत्थ ९८७-११ सु-परकंत १३०-१९, सुत्तत्थधारय ५४२-१ सु-परिकम्मतराय २३०-१९, २३१-८ सुत्तपडिणीय ३७१-९ सु-परिनिट्टिय ४५०-८,५५७-१२ सत्तरजु ४५१-१० ६९२-१, ६९६-१८, ८२९-२ सुत्तरुथि १०६७-८ सु-परिसुद्ध २१९-२ सुदक्खुजागरिया ५६५-११, ५६६-१ सुपास [जिण] ८७७-१० सुदंसण ५३३ तः ५३७ पृष्ठेषु, ५५३-१६, सुप्पणिहाण ८१७-६ ५५४-१, ८०१-२ सुप्पभ [जिण] ८७७-१० सदसणा= सुदर्शना सुप्पभ = सुप्रभ - विद्युत्कुमारदेवविशेष कालपिशाचेन्द्राग्रमहिषी ५०१-८ १७६-१९ " = ,, - कालपाल सुप्पभकंत=सुप्रभकान्त-,, लोकपालाप्रमहिषी ५००-१३ सुप्पभा = सुप्रभा - कालपाललोकपालाग्रमहिषी सुद्ध १८१-५, २३५-५, ४६६-१९, ५००-१३ ५९५-१५, ७२२-१० सु-बहु ४६२-२२, ५१६-२०,५१८-५, सुद्धदंतदीव .. ५२०-१, ५२२-१८, ५२५सुद्धपाणय ७२१-२३, ७२२-१० . १३, ५५१-६ सुद्धप्पावेस= शुद्धात्मवैष्य, सु-बहुलोय ८१९-७ शुद्धप्रवेश्य १०२-१०, १३१-२०, सुब्भिगंध ८-१७, ६७६-१४, ८१३-२३, ५६४-१७ ८२८-१२, ८५९-२, ८६०सुद्धवत्थ ४६६-२५ १३, ८६१-२२ सुद्धवात ७३९-१० सुब्भिगंधत्त ७८०-१४ सुद्धसणिय १०६२-१४ सुब्भिगंधपरिणय ३२५-३, ३२६-१९, सुद्धोदण १३१-१६ ३३०-२० सुद्धोयण १३२-११ सुभ ११-१९, १३०-२०, २२६-१, २३२ सुधोयतराय २३०-१९, २३१-७ -१८, २३३-२, २४७-१२, सुनक्खत्त [अणगार] ७१७-१, ७३२-९, २६७-११, ४१४-७, ४४८७३६-१५ २३, ५५४-६, ६८५-१३ सु-निउण ३०४-१० सुभगा = सुभगा - भूतेन्द्राग्रमहिषी ५०१-१३ सु-निमित्त ५३८-९ सुभदीहाउयत्ता २०५-१५ सु-निघुय ५६२-२० सुभद्दा = सुभद्रा - नागवृत्तलोकपालाग्रमहिषी मुन्न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001020
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1982
Total Pages556
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_bhagwati
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy