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________________ १२८८ बिइयं परिसिटुं सहो पिट्ट-पंतीए । सहो पिट्ठ-पंतीए काल[सीहासण] ५०१-१० कालय [राहुविमाण] ५९२-१५ काल = काल-मृत्यु १४-१३, १२६-६, काललोय ५२६-१७ २०९-१३,३०६-७,४८०-२, कालवण्णकरण ८५१-१६ ५५३-१०, ६०१-१३, ७११ कालवण्णनिव्वत्ति ८४७-२३ २३, ८०२-१६ कालवण्णपज्जव ९८३-७, ९९२-२३, 8,, ,, - समय १-१४, १३३-१३, ९९३-३, १००३-२० २१४-४, ३७९-२, ४५५-९, कालवण्णपरिणय ३२५-२, ३२६-१७, ५०६-५, ६०४-८,७१२-१६, ३३०-१८ ८०७-२१,९०७-५, १००५कालवण्णपरिणाम ४००-६ १२, ११४४-२२ कालवाल= कालपाल-धरण- ५००-११ कालओ= कालतः ७४-६, २१४-७, लोकपाल ३७९-२०, ५११-१२, कालवाल= कालपाल-नागकुमार- १७६-१४ ६०६-८,८९१-७,९०७-११, देवविशेष १०३९-५, ११४४-२१ कालवासि= कालवर्षिन् ६६२-४ कालकरण ८५०-७ कालसमय = कालसमथ-काला- ५-१५, कालगविण्ण] २६८-१५, ७०८-१३, त्मकसमय ५५-१३, ९१-१०, ८६०-१, ८६२-१५, ८६४ १३३-५,५९६-३, ६४२-१९, ११, ८६५-८, ८६६-५ ६४६-१, ७२४-१, ७२५-१, कालगत-°गय ९३-१८, ९६-१०, कालंतर १०१७-९ १३५-२०, ३११-७, ४६०- काला [रायहाणी] ५०१-९ २०, ७१७-१०, ७२५-१३, काला= काला-कृष्णवर्णा २५३-५ १०२६-९, १०४७-२३ कालाइवंत ४७६-२१ कालगपोग्गल २६८-१८ # कालाएस ९११-३,९६८-९ कालगपोग्गलत्ता २६८-१६ कालागरु ५३७-१४, ५४१-१ कालद्वितीय १३-९ कालातिकंत ___२७७-३ कालड्ढरत्त १४७-२१ कालादेस २२०-३, ५११-१६, कालतुल्लय ६७५-१४, ६७६-८ ६५८-१०,९०९-२,९६८-१८ कालतो=कालतः ८३-१, ११३-१२, कालावीचिमरण ६५०-६ २१४-३,३४९-१९, १००५- कालासवेसियपुत्त ६५-११, ६६-३, ६७-१, १३, ११४७-१ ३१८-४, ४४९-२० कालत्त = कालत्व-कालवर्णत्व ७८०-१४ कालियपुत्त १०४-११ कालपरमाणु ८७०-८ कालिय-सुय ८७७-१६ कालमास १४-१३, १२६-६,२९५-१९, कालिंगी ८९९-१७ ३०६-७, ४७९-२१, ५५३- काली= काली-चमरेन्द्राग्रमहिषी ४९७-२० १०, ६०१-१३, ७११-२३, कालेयणा ७८१-७ ८३१-७ कालोद[समुद्द) १८५-१६, ४०७-८ कालय [वण्ण] ५९२-१५, ८१३-१८, कालोदाइ = एतन्नामा अन्ययूथिक ८५९ तः ८६६ पृष्ठेषु । मुनिः ३१५ त: ३१८ पृष्ठेषु, ८१४-१७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001020
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1982
Total Pages556
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_bhagwati
File Size24 MB
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