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सु० १, १-६, १, १, १] पढमसेढिसयाणुसारेणं पंचमाइसेढिसयनिहेसो ११४१
[सत्तमे एगिंदियसेढिसए पढमाइएक्कारसपज्जता उद्देसगा] [सु. १. छट्टएगिदियसेढिसपाणुसारेणं नीललेस्सभवसिद्धियएगिदिय.
वत्तव्ययानिदेसो] १. नीललेस्सभवसिद्धियएगिदिएसु सयं ।
[॥ ३४-७.१-१२ ॥] ॥ सत्तमं० सयं समत्तं ॥ ३४-७॥
[अट्टमे एगिदियसेढिसए पढमाइएक्कारसपजता उद्देसगा] [सु. १. छट्टएगिदियसेढिसयाणुसारेणं काउलेस्सभवसिद्धियएगिदिय
वत्तव्वयानिदेसो १. एवं काउलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहि वि सयं ।
[॥ ३४-८.१-११ ॥] ॥ अट्टमं० सयं० ॥३४-८॥
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[नवमाइबारसमपज्जतेसु एगिदियसेढिसएसु पढमाइनवमपज्जंता उद्देसगा] [सु. १. पंचम-छट्ठ-सत्तम-अट्ठमएगिदियसेढिसयाणुसारेणं अभषसिद्धियएगि
दियवत्तव्वयानिदेसो] १. जहा भवसिद्धिएहिं चत्तारि सयाणि एवं अभवसिद्धीएहि वि चत्तारि सयाणि भाणियवाणि, नवरं चरिम-अचरिमवजा नवउद्देसगा भाणियव्वा। सेसं तं चेव।
एवं एयाई बारस एगिदियसेढिसयाई। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरह।
[॥ ३४-९-१२.१-९॥] ॥ एगिदियसेढिसयाई समत्ताई ॥ ३४-१-१२ ॥ ॥ एगिदियसेढिसयं चउत्तीसइमं समत्तं ॥३४॥
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