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रा
सौ.
°ष्ठ स्तरे
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मा
मो भवम् सारं
चारः 'तिर देव
भवस् सार °चारं
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वा
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9. 97 9. 160 9. 166 9. 219 9. 220 9. 303 10. 176 11. 48 11. 64 11. 67 11. 72 11. 126 11. 128 11. 134 11. 139 11. 162 11. 195 11.256 11. 256 11. 283 11. 345 11. 387 11. 403 11. 420 11. 490 11. 491 11.523 11.537 11. 557 11. 558 11.562 11.578
भत्स्य
भन्तस्य
म
काठे 'हन्य नन्धि शेऽथ
न न्वि शेषु कं च सा दम्
°क तं
°द्रभूक्ता
भूद्रक्ता यान्तं
यतं योग मन्मा
योग्य
ममना
ज्ज्वलम्
°ष्ठितम्
°हन्य प्रद्योतेन समं
दोष्मानुदायनो
य दोमानुदायनो योर्बु स्मयमानो
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