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त्रंबावती-तीर्थमाळ
सं. मुनि भुवनचन्द्र सत्तरमी सदीना सुप्रसिद्ध श्रावक कवि श्री ऋषभदासनी एक महत्त्वनी छतां आज सुधी अज्ञात कृति-'तीर्थमाल त्रंबावती. स्तवन' -विद्वद्वर्ग समक्ष मूकतां आनंद थाय छे । जै. गू. क.-मां आ कृति नोंधाइ नथी, तेम जै. गू. क.मां आपेली, कविनी रचनाओनी जूनी बे टीपोमां पण आनो उल्लेख नथी । कविनी आ रचना खंभातने ज स्पर्शती होवाथी अन्यत्र आनो प्रसार ओछो थयो हशे; खंभातमां अन्य भंडारोमां आनी नकलो होय तो पण तेनी तपास थई शकी नथी । 'ग प्रति अणधारी रीते हाथमां आवी छ । बोरपीपळाना श्री पार्श्वचन्द्रगच्छ संघना है. लि. ज्ञानभंडारनुं सूचिपत्र तैयार करी लीधा बाद, प्रकीर्ण पत्रोनी पोधीओनुं निरांते अवलोकन करतां आ प्रतिना विखरायेला पानां हाथ लाग्यो । हालमां आ प्रति मारी पासे छे ।
कतिना अंते कविनाम तो छ ज । भाषा अने शैली पण स्पष्टपणे ऋषभदासनां छे । रचना १६७३मां थई छ । प्रति १७४४मां खंभातमां ज लखायेली छे । खंभातना इतिहासमा विशिष्ट पूर्ति करती आ रचना, 'तीर्थावली' प्रकारना प्राचीन साहित्यमां पण महत्त्वनो उमेरो करे छे। साथोसाथ धर्मप्रेमी अने खंभातना पण प्रशंसक आ कविना कवनमा रही जतो एक खाली खूणो पण आ रचना भरी दे छ ।
जोगानुजोगे, खंभातना उपर्युक्त भंडारमांथी ज, प्राय: १५० वर्ष पूर्वेनु, खंभातनां जिनालयोनी सूचिनुं एक ओळियुं पण प्राप्त थयुं । त्यार बाद अमदावादमां ला. द. भा. विद्यामंदिरमां पं. श्री लक्ष्मणभाई भोजक साथे वार्तालाप दरम्यान त्रंबावती तीर्थमाल (त्रं. ती.)नो उल्लेख करतां, ताजेतरमा ज तेमना हाथमां आवेलं आq ज ओळियुं ते ज वखते तेमणे देखाड्युं । तेनी फोटोकोपी पण तरत ज तेमणे करावी आपी । आ माटे तेमनो कृतज्ञ छु ।
आनी प्रति १७४४मां खंभातमां ज लखायेली छे, सारी स्थितिमा छ । पन्न ६ छे, अक्षरो मोटा कदना छ । पानांनुं प्रमाण ९||" x ४॥" छ । प्रत्येक पृष्ठमां ११ पंक्ति अने एक पंक्तिमां सरेराश ३२ अक्षर छ ।
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[63] ___ अहीं बंबावती तीर्थमाल, खंभातनां जिनालयोनी बे सूचिओ तथा आ बधांना अभ्यासथी निष्पन्न थता केटलाक निष्कर्षो .. आटली सामग्री प्रस्तुत छ।
श्री डूंगर मुनिकृत 'खंभात चैत्यपरिपाटी' नामे १३ कड़ीनी सत्तरमा सैकानी रचना मळे छे । (प्रका. 'जैनयुग' पु. १, पृ. ४२८) । पद्मविजयरचित 'खंभात चैत्यपरिपाटी' जै. गू. क.मां नोंधाई छ । मतिसागरे पण 'खंभात तीर्थमाळा' सं. १७०१मां रची छे । आ बधांनी साथे प्रस्तुत कृतिनी तुलना करवी आवश्यक छे, पण तेम थई शक्यु नथी । आशा छेअन्य कोई अभ्यासी आ ऊणप पूरी करशे ।
नंबावती तीर्थमाळ
दहा श्री शंखेश्वर तुझ नमुं, नमुं ते सारद माय । तीर्थमाल त्रंबावती, स्तवतां आनंद थाय ॥ १ सागुटानी पोलिमां, बइ पोढा प्रासाद । चीत्र लष्यत तीहां पूतली, वाजइ घंटानाद ॥ २ श्री च्यंतामणि भोंयहरइ, एक सु प्रत्यमा सार । जिन जि द्वारइ पूजी ज्यमइ, ध्यन तेहनो अवतार ।। ३ साहा सोंढानइ देहरइ, श्री नार्यंगपूर स्वामि ॥ प्रेम करीनइ पूजीइ, पनर ब्यंब तस ठामि ॥ ४ दंतारानी पोलिमां, कुथज्यन तास । बार ब्यंब तस भुवनमा, हुं तस पगले दास ।। ५ शांतिनाथ यनवर तणूं, बीजुं देहेरुं त्यांहि । दस प्रतिमाशुं प्रणमतां, हरष हूओ मनमांहि ॥ ६ गांधर्व बइठ गुण स्तवइ, कोकिल सरीषउ साद । वीस ब्यंब वेगई नमू, ऋषभतणउ प्रासाद ॥ ७ परजापत्यनी पोल्यमां, शीतल दसमु देव । पनर व्यंब प्रेमइ नमुं, सुपरइं साई सेव ।। ८ अलंगवसईनी पोल्यमां, वण्य प्रासाद उत्तंग । रोषभदेव वीस ब्यंब शुं, स्वामी सांमल रंग ।। ९
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कुंथनाथयन भुवन त्यांहां, पासई प्रतिमा आठ । प्रही ऊठीनइ प्रणमता, लहीइ शवपुरि वाट | १० सांतिनाथ ज्यन सोलमु, त्यांहां त्रीजउ प्रासाद । त्रण्य ब्यंब तृविधि नमू, मुंकी मीथ्या वाद ।। ११ मोहोरवसईनी पोल्यमांहां, त्रण्य प्रासाद जगीस । मोहोरपास स्वामी नमू, नमुं ब्यंब च्यालीस ॥ १२ शांतिनाथ त्रण्य व्यंबद्यु, सुमतिनाथ यगदीस । सोल ब्यंब सहजइ नमू, पूरइ मनह जगीस ॥ १३ आलीमांहां श्री शांतिनाथ, ब्यंब नमुं सडसठि । श्री ज्यनवर मुष देषतां, अमीअ पईठो घटि ।। १४ शस्रपांण्य नाकर कह्यो, तेहनी पोलि प्रमाण । नीमनाथ षट ब्यंबद्यु, शरि वहुं तेहनी आंण्य ।। १५ विमलनाथ यनभुवनह्नां, पासइ प्रत्यमा च्यार | एकमनां आराधतां, सकल शंघ जयकार || १६ !! १
ढाल बीजी-वीवाहलानी आए जीराउलाना पाल्यमां, पंच भुवन वषाणूं । आए श्री थंश चउ ब्यंबद्यु, तीहां बइठा ए जाणउं ।। १७ आहे श्री चंदप्रभ भूयरइ, ब्यंब सीत्यरी ए वंदुं । आहे मुगटकुंडल कडली भली, करि देषी आणंदुं ॥ १८ आहे श्री जीराउल मुंयरइ, ब्यंब बहइतालीस सार । आहे ऋषभभुवन चो ब्यंबद्यु, वीर भुंयरइ बार ।। १९ आहे गांधी तणी वली पोल्यमां, प्रासादइ नमीजइ । आहे भुवन कराव्यउं अ भीमजी, प्रभूजी तिहां प्रणमीजइ । २० आहे मूलनायक श्रेस देव, नमुं चोवीसइ ब्यंब । आहे काष्टतणी तिहां पूतली, तेणइ शोभइ ए थंभ ॥ २१ आहे नालीअरइपाडइ वली, देउल एक उदार ।। आहे ऋषभदेव तस भुक्नमां, ब्यंब अनोपम च्यार ॥ २२ आहे एक प्रासाद अलंगमां, तीहां बइठा ए पास ।
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आहे बावीस ब्यंब सहइजइ नमुं, यम पुहुचइ मझ आस ॥ २३ आहे माहालष्यमीनी अ पोल्यमां, यनजीनुं भुवन जोहाएं । आए चंदप्रभ नव ब्यंबशुं, पूजी करी तन ठाएं ।। २४ आहे बीजउं देहरं पासनउं, त्यांहां यन प्रत्यमा त्रीस ।। आहे प्रहइ ऊठीनइ प्रणमतां, पहुचइ मनह जगीस ॥ २५ आहे चोकसी केरीअ पोलिमां, यनं भुवन सु च्यार ।। आहे श्री च्यंतामण्य देहरइ, सोल ब्यंब सु सार ॥ २६ आहे सुषसागरना भुवनमां, मननिं रंगइ ए जईइ ।। आहे तेत्रीस ब्यंब तीहां नमी, भविजन निरमल थईइ ॥ २७ आहे मोहोर पास स्वामी नमुं ए, बिंब सतावीस यांहि । आहे चोमुष व्यमल जोहारीइ, उगणीस ब्यंब छइ त्यांहि ॥ २८ आहे नेमनाथ जिन भुवनमां, ब्यंब नेऊअ नमीजइ । आहे प्रेम करीनइ पूजीइ, जिम ए भव नवि भमीइ ॥ २९ आहे षारूआतणी वली पोलिमा, सातइ देहरां कहीजइ । आहे बत्रीसां सो ब्यंबरों, सीमंधर लहीइ ॥ ३० आहे मुनिसुव्रत वीस ब्यंबशुं, संभवजिन ब्यंब वीस । आहे अजितनाथ देहरइ जई, नीतई नामु अ सीस ॥ ३१ आहे शांतिनाथ दस ब्यंबशुं, मोहोर पास विष्यात । आहे पांच ब्यंब प्रेमें नमुं, वीर चोमुष सात ॥ ३२ आहे एक प्रासाद अलंगमां, स्वामी मुनिसुव्रत केरो । आहे पांत्रीस ब्यंब पूजी करी, यलो भवनो ए फेरो ॥ ३३ आहे मणीआरवाडि जई नमु, श्री चंदप्रभु स्वामी । आहे ओगणीस ब्यंब तस भुवनमां, सुष लहीइ शर नामी ॥ ३४ आहे साहा जेदासनी पोलिमां, तिहां छइ देउल एक । आहे मुनिसुव्रत वीस ब्यंबशुं, नमुं धरीइ विवेक ॥ ३५ आहे भंडारीनी पोलिमां, देउल एक ज सोहइ । । । आहे वासपूज्य नव ब्यंबद्यु, ते दीठइ मन मोहइ ॥ ३६ आए वोहोरा केरी वली पोलिमा, काउसगीया बइ सार । आहे पांच ब्यंबशुं प्रणमतां, सकल शंघ जयकार ॥ ३७
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ढाल त्रपदीनो साहा महीआनी पोलि वषाणूं, पांच प्रासाद तिहां पोढा जाणू, पूजीम करिनी आणू, हो भविका, सेवो जिनवर राय, ए तो पूज्ये पातिग जाइ, ए तो निरष्यइ आनंद थाइ, हो भविका० ।। १ मल्लिनाथनई देहरि जईई, बि प्रतिमा तिण थानकि लहीइ, आंन्या शर परि वहीइ. हो भविका० ॥ २ आगलि बीजई च्यंतामणि पास, भुंयरि ऋषभदेवनो वास, ब्यंब नमुं पं[चास], हो० ॥ ३ पुंणई शांतिनाथ यगदीस, तिहां जिन प्रतिमा छइ एकवीस, नीति नाम सीस, हो० ॥ ४ साहा जसूआनूं देहेरुं सारं, सोमचिंतामणि तिहां जूहाएं । चऊद बिंब चित्त धारुं, हो० ॥ ५ आगलि देहरि रिषभजिणंद, परदष्यण देतां आनंद, साठि व्यंब सुखकंद, हो० ॥ ६ भुइरा केरी पोलि भलेरी, वण्य प्रासादई भुंगल भेरी, कीरतिन करुं यन केरी, हो० ॥ ७ श्री चंदप्रभ देहरइ दीसइ, अढार ब्यंब देषी मन हींसइ, शांतिनाथ ज्यन वीसइ, हो० ॥ ८ खूणइ देहरुं जगवीष्यात, बइठां सामल पारसनाथ, पंनर ब्यंब तस साथि, हो० ॥ ९ आव्यो घीवटी पोलि मझारि, वीर तणो प्रासाद जोहारि, सात ब्यंब चित धारि, हो० ॥ १० श्री चंद्रप्रभयननइ जोहारं, पांच ब्यंब मनमांहि धाएं, पातिग आठमुं वारुं, हो० ॥ ११ पटूआ केरी पोलि संभारी, संभवनाथ पूजो नरनारी, घउ परदष्यण सारी, हो० ॥ १२ पंचास ब्यंब तो परिवार, भुंयरि शांतिनाथ ज्यन सार, नीति करुं जोहार, हो० ॥ १३
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ऊंची सेरीमां हवई आवइ, पास तणो प्रासाद वधावर, अढार ब्यं चित भावइ हो० ॥ १४
वीमनाथनुं देहरूं साहमुं, इग्यार ब्यंब देषी शर नामूं, सकल पदारथ पामूं, हो० ॥ १५ सेगठापाडामांहि हवि सोहि बि प्रासादइ मनडुं मोहइ, पूजी पातिग धोइ हो० ॥ १६
सोमच्यंतामणि च्यंता यलइ, तेर ब्यंब तिहां पातिग गालई,
भविलोकनइ पालइ, हो० ॥ १७
विमलनाथनि देहरि बीजइ, दस प्रतिमानी पूजा कीजइ, मानवभवफल लीजें, हो० ॥ १८
सालवी केरी पोलि ज षास, देहरामां नवपल्लव पास, ब्यंब पंच्योतिर तास, हो० ॥ १९
बीजी सालवी पोलि, बइ प्रासाद पूजो अंघोलि, केसर चंदन घोलि, हो० ॥ २० संभवनाथ जिन प्रतिमा वीस, मूंनिसुव्रतनइ नामूं सीस, भूयरि ब्यंब बावीस, हो० ॥ २१
ढाल । गिरथी नदीयां ऊतरि रे लो - ए देशी । होय प्रासाद सोहामणा रे लो, नदांनपुरमा जाणि रे साहेली शांतिजिनेसर दीपता रे लो, ब्यंब पनर सुठांणि रे सा०
भाव धरी जिन पूजीइ रे लो | आंचली ॥ १ कतबपुर मांहि नमुं रे लो, त्रण्य भुवन सुषकार रे सा० ब्यंब तणी संख्या कहूं रे लो, राषु चित एक ठार रे सा० ॥ २ आदीसर पंच व्यंबशुं रे लो, पास भुवन दस ब्यंब रे सा० चऊद ब्यंब यनवर तणां रे लो, बइठा पास अचंब रे सा० ॥ ३ aण्य प्रासाद सोहामणां रे लो, निरषु नयण रसाल रे सा० अकबर पुर जाई करी रे लो, पूजउ परम दयाल रे सा० ॥४ वासुपूज्य यन बारमा रे लो, सात व्यंब छइ ज्यांहि रे सा०
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शांतियनेसर सोलमा रे लो, ब्यंब अठावीस त्यांहि रे सा० ॥५ आदिभुवन रलीआमणूं रे लो, ते छइ अति मनोहार रे सा० वीस ब्यंब यनजी तणां रे लो, पूजइ लहीइ पार रे सा० ॥६ कंसारीपुर राजीउ रे लो, भीड्यभंजन भगवंत रे सा० ब्यंब बावीसइ पूजतां रे लो, लहीइ सुष अनंत रे सा० ॥७ बीजइ देहरइ जइ नमूं रे लो, स्वामी ऋषभ यनंद रे सा० ब्यंब सतावीस वंदता रे लो, भविय मनि आनंद रे सा० ॥८ शकरपुरमां जांणीइ रे लो, पंच प्रासाद उत्तंग रे सा० भाव धरी यन पूजतां रे लो, लहीइ मुगति सुचंग रे सा० ॥९
ढाल अलबेलानी । राग काफी । अमीझरु आदइ लहुं रे लाल, सात ब्यंब सुविचार, जाउं वारी रे, सीतल स्वामी तृण्य व्यंबशुं रे लाल, पूज्यइ लहीइ पार, जाउं० महिर करु प्रभु माहरी रे लाल || १ ऋषभतणइ देहरइ नमुं रे लाल, श्री यनप्रतिमा वीस, जाउं० ऋद्धिवृध्य सुषसंपदा रे लाल, जे नर नांमई शीश, जा० ॥ २ सोमच्यंतामणि भोइरइ रे लाल, वंदुं ब्यंब हजार, जा० केसरचंदनि पूजतां रे लाल, लहीइ भवचा पार, जा० ॥ ३ सीमंधर बिराजता रे लाल, ब्यंब तिहां पणयाल, जा० दिओ दरशन प्रभु मुंहनइ रे लाल, साहिब परम दयाल, जा० ॥४ घूमइ पगलां गुरु तणां रे लाल, श्री हीरविजय सूरीस, जा० श्री विजयसेनसूरी तणुं रे लाल, वडूइ थूभ जगीस, जा० ॥५ संभवनाथ नव ब्यंबशुं रे लाल, महिमदपुर मांहां जांणि, जा० सोमचिंतामणि दस ब्यंबशुं रे लाल, छगडीवाडा ठाणि, जा० ॥६ सलतांनपुरमां शांतिजी रे लाल, सोल ब्यंब तस ठारि, जा० महिमदपुरि शांतिनाथजी रे लाल, ब्यंब अछइ अग्यार, जा० ।।७।। तीरथमाल पूरी हवी रे लाल, ओगण्यासी प्रासाद, जा० थंमकोरणी बहू दीपतां रे लाल, वाजि घंटनाद, जा० ॥८ श्री यन संष्या जाणीइ रे लाल, ब्यंब सह्या (?) सय वीस, जा०
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सात सयां प्रभू बंदीइ रे लाल, ऊपरि भाष्या त्रीस, जा० ॥९ भवियण भावइ पूजीइ रे लाल, पूजतां हरष अपार, जा० पूजा भगवती सूत्रमां रे लाल, दसमा अंग मुझारी, जा० ॥१० वाई ठाणांगमां रे लाल, भाषइ श्री भगवंत, जा० निश्चल मनि प्रभू सेवतां रे लाल, लहीइ सुष अनंत,
कलस
जेह पूजइ जेह पूजइ तेह पामइ,
तीर्थमाल त्रंबावती, अरिहंत देष्य नर सीस नामइ,
ऋधि रमणि घरि सूरतरू उसभ (अशुभ) कर्म ते सकल वांमइ, संवत सोलनि त्रिहोत्यरि माह शुदि पुंनिम सार,
ऋषभदास रंगइ भइ सकल शंघ जयकार ॥ १
इति श्री तीर्थमाल त्रंबावती स्तवन समाप्त । संवत् १७४४ ना वरषे कारतिग सुदि २ दिने लिषितं श्रीस्तंभतीर्थे ।
जा०॥११
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श्री स्थंभतीर्थना देरासरोनी सूचि-१ । ॥ ८०॥ श्री वीतरागाय नमोनमः । अथ श्री स्थंभतिर्थना जिनचैत्य तथा
जिनबिंबप्रासाद लषिई छ । प्रथम पारवावाडामां देहरां १२ । तेहनी विगति१. श्री स्थंभण पार्श्वनाथ- देहरं, ते मधई२. श्री सीमंधर स्वामीनुं देहरुं ३. श्री अजीतनाथनुं देहरुं दक्षिणसन्मुख १ ४. श्री शांतिनाथ, देहरुं ५. श्री ऋषभदेव- देहरं, पासे चक्रेश्वरी देवीनी मूरति छ । ६. श्री सहस्सफणा पार्श्वनाथनं देहरं ७. श्री मोहरी पार्श्वनाथ देहएं ८. श्री चउवीस तीर्थंकर मूलनायक मुनिसुव्रत स्वामी छइ । ९. श्री कंसारी पार्श्वनाथनुं देहरुं १०. श्री अनंतनाथ- देहरे ११. श्री महावीर स्वामी देहरुं समवसरण चौमुख १२. श्री मुनीसुव्रतस्वामीनुं देहरुं
अथ चोकसीनी पोळमां देहरां ६ तेहनी विगत १३. श्री शांतिनाथ मेडी उपर १४. श्री चंतामणी पार्श्वनाथ, देहरुं १५. श्री चंद्रप्रभुनुं देहरुं १६. श्री विमलनाथनो चौमुख १७. श्री मोहरी पार्श्वनाथनुं देहरुं १८. श्री सीतलनाथ, देहरुं
अथ घीयानी पोलमां देहरं ९ १९. श्री मनमोहन पार्श्वनाथ- देहरुं
अथ माहालक्ष्मीनी पोल, देहरां ३, विगत२०. श्री सुखसागर पार्श्वनाथनुं देहरुं २१. श्री माहावीर स्वामी-गौतम स्वामी, देहरुं
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२२. श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथनुं देहरं
अथ नालियेरे पाडे देह १
२३. श्री वासुपूज्यनुं देहरं
अथ श्री जिरालेपाड देहरां ११, तेहनी विगत
२४. श्री चंद्रप्रभुनुं देहरं २५. श्री शांतिनाथनं देहरं
२६. श्री अमीझरा पार्श्वनाथनुं देहरं
२७. श्री जिरावलि पार्श्वनाथनुं देहरं
२८. तथा भुंयरामां आदिसर तथा नेमनाथ २९. श्री नेमिनाथनुं देहरं
३०. श्री वासुपूज्यनुं देहरूं आजीनं देहरुं ३१. भुंयरामां माहावीरस्वामी छे
३२. श्री अभिनंदनस्वामीनुं देहरं
३३. श्री अरनाथ गांधीनुं देहरं
३४. श्री मनमोहन पार्श्वनाथ हेमचंदसानुं देह अथ षडाकोटडी देहरां उनी विगत
३५. श्री पद्मप्रभुनुं देहरं
३६. श्री सुमतिनाथनुं देह
३७. श्री मुनिसुव्रतस्वामीनुं देहरं
अथ मांडवीनी पोलमां देहरां ५ नी विगत
३८. श्री कुंथुनाथनुं देहरं
३९. श्री मुनीसुव्रतस्वामी देहरं
४०. श्री आदिसर भगवान देहरूं
४१. श्री विमलनाथ देहरूं ४२. श्री माहावीरस्वामी मेडी उपर
अथ आलिपार्डे देहरां २नी विगत
४३. श्री शांतिनाथ देह ४४. श्री सुपार्श्वनाथ देह
अथ कुंभारवाडामां देतुं २
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[72} ४५. श्री माहाभद्रस्वामी ४६. श्री सितलनाथ देहएं
अथ दंतारवाडामां देहरां ३४७. श्री कुंथुनाथ कीकाभाईनु देहरुं दक्षिणसन्मुष २ ४८. श्री शान्तिनाथजी ४९. श्री शांतिनाथ ऊंडी पोलमां
अथ सागोटापाडामां देहरा ४नी विगत५०. श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ ५१. श्री भुंयरामां स्थंभण पार्श्वनाथ ५२. श्री अमीझरा पार्श्वनाथ ५३. श्री आदीसर भगवान देहरुं दक्षिणसन्मुष ३
अथ बोरपीपलें देहरां ४५४. श्री नवपल्लव पार्श्वनाथ तथा पदमावतीनी मूरति छइ ५५. श्री भुंयरामां गोडी पार्श्वनाथ ५६. श्री मुनीसुव्रत स्वामी ५७. श्री संभवनाथनुं देहरुं
अथ संघवीनी पोलमां देहरां २५८. श्री सोमचिंतामणि पार्श्वनाथ तथा श्री पदमावतीनी मूरति ५९. श्री विमलनाथ, देहएं
अथ कीका जिवराजनी पोलमां देहरुं १६०. श्री विजयचिंतामणि पार्श्वनाथ
अथ मानकुंयरबाइनी सेरीमां देहरां ३६१. श्री संभवनाथनुं देहरुं दक्षिणसन्मुष ४ ६२. श्री भुंयरामां शांतिनाथ दक्षिणसन्मुष ५ ६३. श्री अभिनंदनजीनुं देहरुं
अथ चोलावाडामां देहरुं १६४. श्री मेरुपर्वतनी स्थापना, श्री सुमतिनाथनो चउमुष,
देवकुंयरबाइनु देहरुं अथ गिवटीमां देहरुं १
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६५. श्री माहावीरस्वामीनुं देहरं, दक्षण सन्मुष ६ अथ भुंयरापाडामां देहरा ६
६६. श्री शांतिनाथनुं देहरं ६७. श्री मल्लीनाथ
६८. श्री चंद्रप्रभु नाम २ छें
६९. श्री सामला पार्श्वनाथ, असल भावड पार्श्वनाथ श्री शांतिनाथ
७०.
७१. श्री नेमनाथ
अथ लाडवाडामां देहरां ६
७२. श्री सोमचितामणि पार्श्वनाथ आदा संघवीनुं देहरं ७३. श्री आदिसर भगवान, षुसाल भरतीनुं देहरं,
दक्षणसन्मुष ७
७४. श्री जगीबाइना भुंयरामां श्री आदिसर भगवान ७५. श्री उपर चिंतामणि पार्श्वनाथ
७६. श्री शांतिनाथ, चंद्रदास सोनीनुं देहरुं, दक्षणसन्मुष ८ ७७. श्री धरमनाथनुं देहरं
अथ बांभणवाडामां तेहरा २
७८. श्री चंद्रप्रभुनुं देहरं
७९. श्री अभिनंदन झमकुबाइनी मेडी उपर
अथ अलिंगमां देह्युं १
८०. श्री आदिनाथ भगवान अमथा तबकीलवालानुं देहरं अथ मणियारवाडामां देहरूं ३
८१. श्री चंद्रप्रभुनुं देहरूं दक्षणसन्मुष ९ ८२. श्री सुबधीनाथ
८३. श्री श्रेयांसनाथनुं देहरं दक्षणसन्मुष १० अथ सकरपरमां देहरां २
८४. श्री सीमंधरस्वामीनुं देहरं ८५. श्री चिंतामणि पार्श्वनाथनुं देहरं
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[74] अथ श्री स्थंभतीरथमाहे श्रावकने घेर देहरासर छे तेनी विगत छप्रथम माणेक [चोक] मद्धे देहरासर ६, तेनी विगत१. परीख जइसिंघ हीराचंदना उपर २. परीख फत्तेभाइ खुबचंदना उपर ३. परीख रतनचंद देवचंदना उपर . ४. षादावालीया सा. रायचंद गलुसाना उपर छे ५. मारफतीया सा. हरषचंद खुबचंदना उपर ६. परीख सकलचंद हेमचंदना उपर
अथ लाडवाड मद्धे देरासर २. तेहनी वीगत७. परीख झवेरचंद जेठाचंदना उपर ८. चोकसी रतनचंद पानाचंदना उपर
अथ बामणवाडा मद्धे ४, तेहनी वीगत९. सा. जसवीरभाइ लासाना उपर १०. सा. जेठा साकरचंदना उपर ११. सा. सरूपचंद कल्लाणसुंदरना उपर सा. मुलचंद भायाने उपरि देहरा० १२. सा. अमीचंद गबु वेलजीना उपर
अथ पतंगसीनी पोल मद्धे १, तेहनी वीगत १३. सा. नेमचंद पचंदना उपर
अथ.षारवावाडा मद्धे ३, तेहनी वीगत छ- . १४. परीख अमीचंद गलालचंदना उपर १५. सा. रूपचंद षुसालचंदना उपर १६. सा. देवचंद कस्तुरचंदना उपर (अन्य हस्ताक्षरमां-) सा. रेवादास पानाचंद- कागलिउं छे । -पार्श्वचन्द्रगच्छसंघ भंडार, खंभात ।
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श्री स्थंभतीर्थना देरासरोनी सूचि-२
नमः सिद्धं । श्री स्थंभतीर्थना जिनचैत्य तथा जिनबिंब लषिई छीई। संवत् १९००ना वर्षे अषाडमासे सुकलपक्षे १४दसी ।
अंते___ एवं श्री स्थंभतीर्थना प्रासादनामाभिधानं स्यात् लषीत्वा तं प्रात:काल समये नमस्कार करवाने लषीत्वं । संवत् १९०० ना वर्षे मासोत्तममासे सुभरतै वशंत्तरत्तै फालगुण मासे सुकलपक्षे ४ चतुथिदीवशे गुरूवासरे लषीकृतं श्री स्थंभतिर्थनः ।
-ला. द. भा. विद्यामंदिर, अमदावादना संग्रहमांनुं एक प्रकीर्ण ओळियुं ।
ला. द.नी सूचि खंभातना भंडारमांनी सूचि जेवी ज छे तेथी ते आखी अहीं उतारी नथी । खंभातनी सूचिमां लख्या संवत आपेलो नथी, परंतु ते दोढ सो के तेथी वधु वर्ष जूनी जणाई आवे छे । खंभातनी सूचि वधारे विगतपूर्ण छे, एमां खंभातना घर-देरासरो तथा दक्षिणसन्मुख देरासरोनी पण नोंध छे । ला. द. नी सूचि संक्षिप्त छे, महोल्लाना क्रममा सामान्य फरक छे, बाकी जिनालयनां नाम अने संख्या बिलकुल सरखां छे । ला. द. वाळी सूचिना प्रारंभे वि. सं. १९०० अषाड मास छे, पण अंते जरा भिन्न हस्ताक्षरमां सं. १९०० फागण मास लख्यो छे । कां तो संवत् आषाढी होय, कां तो कल करनारनी भूल होय ।
महोत्लावार देरासरोनी सूचिओनी तुलना . तीर्थमाल देश | सूचिद्वय देश. | वर्तमान नाम देरा. सागोयनी पोळ २ | सागोटापाडो ४ । सागोयपाडो दंतारानी पोळ ३ । दंतारवाडो दंतारवाडो ४ प्रजापतिनी पोळ १ कुंभारवाडो कुमारवाडो १ अलंगवसइ
मांडवीनी पोळ मांडवीनी पोळ २ मोहोरवसइ
षडाकोटड़ी कडाकोटडी आली
आलिपाडो २ आलीपाडो नाकरनी पोळ २
? जीराउलानी पोळ ५ | जिरालो पाडो ११ | जिरालापाडो ६
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गांधीनी पोळ नालीयर पाडो
अलंग
महालक्ष्मीनी पोळ ३
चोकसीनी पोळ
४
खारूआनी पोळ
अलंग
मणीयारवाडो
साह जेदासनी पोळ १
भंडारीनी पोळ
१
वोरानी पोळ
साह महीआनी पोळ ५
?
भुंइरानी पोळ
घीवटी
?
पटूआनी पोळ
उंची सेरी
खडकी.
गठावाडो
सालवीनी पोळ
बीजी सालवीनी पोळ
१
७
२
२
१
२
६०
[76]
?
नालियेर पाडो
घीयानी पोळ ?
महालक्ष्मीनी पोळ
३
चोकसीनी पोळ ६
खारवावाडो
१२
अलिंग
१
मणियारवाडो
?
?
?
लाडवाडो
बांभणवाडी
भुंगरपाडो
गिवटी
चोळवाडो
संघवीनी पोळ
बोरपीपळो
१
१
बोरपीपळो
२
भों पाडो
१
गीमटी
१
चोव्यवाडो
मानकुंवरबाइनी सेरी ३ वाघमासीनी
खडकी
कीका जीवराजनी सेरी १ वाघमासीनी
४
८३
?
नागरवाडो ?
चोकसीनी पोळ
चोकसीनी पोळ ६
खारवाडो
८
अलिंग
१
?
?
?
?
माणेकचोक लाडवाडो
सामे
संघवीनी पोळ
बोळपीपळो
बोरपीपळो
or a w
१०
१
२
३
६१
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به
{77]
केटलाक निष्कर्षों १. आ कोष्टकमां खंभात शहेरनां मंदिरो ज लीधां छे। त्रं.ती. खंभातनां विविध परांओमां नीचे मुजब जिनालयो नोंधे छे :
नदानपुर कतबपुर - ३ अकबरपुर कंसारीपुर सकरपुर महिमद पुर सलतानपुर छगडीवाडा
له سه ره
تک
وہ
مر
مر |
कालक्रमे आ मंदिरो खंभात शहेरमां अथवा अन्यत्र स्थानांतरित थयां, आथी सूचिद्वयमां शहेरनां मंदिरोनी संख्या वधी छे । आगल जतां अमुक महोल्लानां मंदिरो हटावीने बीजां मंदिरोमां समावी लेवायां, आथी वर्तमानमां संख्या घटी छे।
२. पोतानी अन्य कृतिओमां खंभातनुं वर्णन करतां कवि ८५ जिनालय होवार्नु जणावे छे, ज्यारे .ती.मां ७९ गणावे छे । त्रं.ती.वि.सं. १६७३नी रचना छे, ८५ना उल्लेखवाळी रचनाओ १६८२-८५नी छे; दस-बार वर्षनी अवधिमां बेचार जिनालय नवां बने ए अशक्य नथी । तेम छतां संख्यामां विसंगति तो छ ज । .ती.मां चोकसीनी पोळमां चार मंदिरो जणावी, वर्णन पांच- अपायुं छे। क्यांक भूमिगृहने जुदा गण्या छे, क्यांक नथी गण्या । सूचिद्वय भोयराने स्वतंत्र मंदिर गणे छ ।
त्रं.ती. अनुसार खंभात अने परांनां जिनालयो सर्व मळीने ७९-८० थाय छ । सूचिद्वय अनुसार (२००-२५० वर्ष बाद) खंभात अने शकरपरनां मळीने कुल जिनालयो ८५ थाय छे.
३. आम छतां .ती.मां निर्दिष्ट मंदिरो थोडा फेरफार साथे दोढसो वर्ष
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पूर्वेनी बंने सचिओमां देखाय छे अने सचिद्वयमांनां मंदिरो थोड़ा फेरफार साथे वर्तमानमां पण उपस्थित छ । छेल्लां चारसो वर्षमां खंभातनां जिनालयोने स्थानांतरण सिवाय अन्य प्रकारनी हानि सहन करवी पडी नथी एम कही शकाय । अलबत्त. अमुक मंदिरोनो ताळो मळतो नथी । बीजी बाजु, नवां मंदिरो बन्यां छे, जूनां पुनर्निमाण पाम्यां छे । खंभातमां खोदकाम दरम्यान मूर्तिओ नीकळी छे अने हजीये नीकळे छे ते .ती.नी रचना पूर्वेनां बहु प्राचीन मंदिरोनी ज हशे एवं तारण सहेजे काढी शकाय छ ।
४. आजे 'कडाकोटड़ी' तरीके जाणीता महोल्लानुं नाम त्रं.ती.मां 'मोहोरवसई' छे, सूचिद्वयमां 'खडाकोटडी' छ। पाटणमां पण 'खडाखोटडी' अने 'घोवटो'नामे महोल्ला नोंधाया छे । आ नामोनां मूळ शोधवां जेवां छ ।
५. आजनो माणेकचोक ते सूचिद्वयमा 'लाड वाडो' अने त्रं.ती.मां 'साह महीआनी पोळ' तरीके नोंधायो छे । आजनो लाडवाडो ते सूचिद्वयमां ब्राह्मणवाडा तरीके निर्दिष्ट छ । त्रं.ती.मां आ नाम नथी । भंडारीनी पोळ के साह जेदासनी पोळ- एमांथी कोई एक लाडवाडो होय एवी कल्पना करी शकाय। माणेकचोकनी पाछळ व्होरवाड आजे पण छे, परंतु तेमां देरासर नथी ।
६. नं.ती.नी 'ऊंची शेरी' अने सूचिद्वयनी 'कीका जीवराजनी सेरी' ए आजना वाघमासीनी खडकीनी सामेना खांचातुं नाम छे ।।
७. नं.ती.मां 'अलंगवसइ' उपरांत बीजां बे 'अलंग' नामे स्थान नोंधायां छ । आमांनुं एक स्थान 'अलिंग' तरीके आजे पण जाणीतुं छे । 'अलंग'नो अर्थ 'अलग' (छूटुं, वेगळं) एवो थाय छे । कोई पोळ के पाडा साथे जोड,येल न होय एवी जग्याने 'अलंग' कहेतां होय एवं अनुमान थाय छ ।
८. जैन मंदिरो दक्षिणसन्मुख नथी होतां । खंभातनी एक सूचि दक्षिणसन्मख होय एवां ८ देरासरो नोंधे छे, जेमांनां घणांखरां आजे पण एम ज छ ।
९. .ती.मां प्रत्येक जिनालयनी बिंबसंख्या आपेली छे, तेनो सरवाळो २७३० जेटलो थाय छे । पाषाण अने धातु-बंने प्रकारनां बिंबो आमां समाविष्ट हशे । आजे नवां-- जूनां बधां आरसनां प्रतिमाजी १२०० अने धातुनां १३७० जेटलां गणाय छे । घणां बिंबो जीर्ण थई विसर्जन पाम्यां होय अने बीजां नवां
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________________ [79] बन्यां होय ए स्वाभाविक छे। छतां लगभग चारसो वर्ष पछी बिंबोनी संख्यामां बहु मोटो तफावत पड्यो नथी एम कही शकाय / नं.ती.मांना कठिन शब्दोना अर्थ वं.ती.मां शब्दान्तर्गत आवता हस्व 'इ', 'य'मां परिवर्तन थयुं होय एवा घणा शब्दो छ / जेमके :- व्यंब (बिंब), च्यंतामणि (चिंतामणि), पोल्य (पोलि), ज्यन (जिन) वगेरे / 'इ' उपरांत अन्य स्वरोने स्थाने पण 'य' आवे छे / जेमके :-लष्यमि (लक्ष्मी), च्यालीस (चालीस) वगेरे / शब्दना आदि जकारने बदले 'य' पण वपरायो छे / जेमके :-यन (जिन), यनंद (जिनंद) यगदीस (जगदीस) वगेरे / खंभात इलाकानी ते समयनी गुजराती भाषानी आ रूढि हशे। ऋषभदासनी अन्य कृतिओमां तेमज खंभातना एक वैष्णव कवि शेधजीनी कृतिओमां उच्चारनु आवु वलण जोवा मळे छ / आवो उच्चारभेद धरावता शब्दो ओळखवा सहेला होवाथी शब्दकोशमां नोंध्या नथी / अमीअ अमृत कडली-कई कीरतिन-कीर्तन घटि-घटमां, शरीरमां तृविधि-त्रिविधे (मन-वचन-कायाथी) थूभ-स्तूप (स्मृतिस्तम्भ) पातिग आठमुं-आठमुं पाप (अभिमान) पोढा-प्रौढ, मोटां पूजीम-पूजा बइ-बे भवचा-भवनां मुंहनइ-मने लष्यत-लिखित बडइ-मोटें शरि-माथा पर शवपुरि-शिवपुरमा (मोक्षमां) शत्रपणि-सहस्रपाणि ? सुपरई सारी पेठे