Book Title: Satwa Bhogopabhoga Pariman Vrat
Author(s): Ajaysagar
Publisher: Z_Aradhana_Ganga_009725.pdf
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सातवाँ भोगोपभोग परिमाण व्रत प्रतिज्ञा१. २२ अभक्ष्य व अनन्तकाय में से निम्नोक्त या सभी का त्याग करता हूँ। २. फल साग सब्जी वनस्पि.... से ज्यादा नहीं खाऊँगा। ३. चौदह नियम धारूँगा। जयणा-दवाइ व बीमारी में जयणा रखता हूँ। ४. पन्द्रह कर्मादान में से ........का त्याग। २२ अभक्ष्य कौन से होते है २२ अभक्ष्यों के नाम निम्नोक्त है। जो त्याग करने हो उन की धारणा कर दीजिये। (१) मांस (२) शराब (३) मक्खन (छाश के बहार का) (४) बरफ (६) ओला (७) कच्ची मिट्टी (८) रात्रि भोजन महीने में... दिन (९) बहु बीज वाले अंजीर, खस खस (१०) मुरब्बा व छंदा के सिवाय आचार-अथाणे (११) कच्चे दही के साथ कठोर धान्य चने आदि (१२) तुच्छ फल बोर, पिलु, निंबोडी, सीताफल (१३) चलित रस- जिसका स्वाद वगैरह सड़ने आदि के कारण बदल गया हो अथवा चौमासे में १५ दिन, उनाले में २० दिन व सियाले में ३० दिन से ज्यादा दिन का मिष्टान्न आदि (१४) विष-सोमल, अफीम आदि (१५) बासी ऐसे रोटी, पुडी, सीरा, लापसी, मालपुआ (१६) बेंगन (१७) अज्ञातफल (१८) पीपल व पिपली के फल (१९) बड़ के फल (२०) गुलर के फल (२१) उदुंबर के फल (२२) अनन्तकाय। निम्नोक्त अनन्तकाय में से जिनकी धारणा की है उनको त्याग दिया है। आलू, प्याज, लहसून, सकरकंद, गाजर, गिलोह, कोमल पत्ते, कोमल इमली, हरी हल्दी, अदरख, थोर, कुंवारपाटा, भूमि स्फोटक, सुरण, मूले शतावरी आदि। कर्मादान जो त्याग करने हो उनकी धारणा कर दिजीए। (१) अंगार कर्म- कुम्हार व भडभुजे का व्यापार, ईंटें, चुना, कोयला आदि (२) वनकर्म- हरे पत्ते, शाक, फूल, लकड़ें, फल आदि वनस्पति (३) शकट कर्म- बैल क ज्यादा देने में बड़ी उदारता है : समय पर देना. S Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाड़ी, हल आदि तैयार करवाना (४) भाटक कर्म- बैलगाड़ी वगैरह किराये से घूमाना (५) स्फोटक कर्म- कुए, तालाब, सुरंग वाव आदि (६) दंतवाणिज्य- हाथी के दांत आदि (७) लक्खवाणिज्य- लाख, गोंद आदि (८) रसवाणिज्य- घी, गुड़ आदि (९) विष वाणिज्य- अफीम, सोमल आदि (१०) केश वाणिज्य- ऊन, पंख, बाल आदि (११) वस्त्र पीलन कर्म- मील, जीन, चक्की, घाणी आदि (१२) निलांछन कर्म- नपुंसक बनाना, नाक, कान आदि अंग छेदने (१३) दवदान कर्म- वन आदि में आग लगाना (१४) जल शोषण कार्य- तालाब, सरोवर आदि सुकाना (१५) असति पोषण- कुत्ते, बिल्ली, तोता आदि व असती का पोषण करना। चौदह नियम सचित्त दव्व विगइ वाणह, तंबोल वत्थ कुसुमेसु। वाहण सयण विलेवण, बंभ, दिसि न्हाण भत्तेसु।। १ ।। चौदह नियम रोज धार लेने चाहिये किन्तु रोज न धार सकें, तो जीवनभर के लिये निम्नोक्त नियम धार सकते हैं। उसके बाद अपनी अनुकूलता से उनमें से प्रतिदिन या समय-समय पर कम भी कर सकते हैं। १. सचित्त- बोने से उगे, वह अनाज, फल, कच्चा पानी, नमक, हरी वनस्पति, पान, दातुन । १५ या... से ज्यादा नहीं। २. द्रव्य- सारे दिन में अलग-अलग स्वादवाली चीजें मुंह में डाली जाए, वे सब । जैसे सचित्त व विगई के सिवाय की रोटी, शाक, दूध, घी, तेल, गुड़, सोपारी चूर्ण आदि। ४० या... से ज्यादा नहीं। ३. विगई- दूध, दही, घी, तेल, गुड़ व कडाह (घी-तेल में तली हुई भजीया आदि वस्तु या घी में सेक कर बनाये गये सिरा लापसी आदि)। कच्ची या पक्की एक विगई का... त्याग। उपनाह- जुतें, बूट, चप्पल सेंडल, स्लीपर, मोजा आदि। ५ या.... से ज्यादा का त्याग, खरीदते वक्त जयणा। ५. तंबोल- पान, सोपारी, इलायची, लवींग इत्यादि-मुखवास ग्राम १०० या... से ज्यादा नहीं। ६. वस्त्र- पहनने व ओढ़ने के कपड़े। वस्त्र ३० या... से ज्यादा नहीं। धर्म कार्य में व खरीदी में जयणा। चापलूसी मरल है, प्रक्षामा कठिन है. Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७. कुसुम- सुंघने की वस्तु, घी, तेल, सेन्ट, इत्र आदि २० किलो या... से ज्यादा नहीं। सारा बर्तन न सूंघे। ८. वाहन-रेलगाड़ी, मोटर, घोडागाड़ी, बैलगाड़ी, जहाज, हवाई जहाज आदि १० या... से ज्यादा नहीं। ९. शयन- पलंग, बिस्तर, दरी आदि की संख्या। ५० या.... से ज्यादा नहीं। १०. विलेपन- शरीर पर लगाने की वस्तुए। जैसे कि तेल, इत्र, साबुन, वेसलीन आदि का वजन । १ किलो या... से ज्यादा नहीं। ११. ब्रह्मचर्य- (१) दिन में पालना, रात्रि में अपनी धारणा, ५ तिथि, १२ तिथि, महिने में.... दिन (२) परस्त्री त्याग। १२. दिशा- उत्तर, दक्षिण, पूर्व पश्चिम, उपर नीचे व ४ विदिशा इन दिशा में नियम करना । १००० या.... किलो मिटर से सभी दिशाओं में ज्यादा नहीं.... १३. स्नान- संपूर्ण शरीर का स्नान पानी से करना । ५ स्नान या.... से ज्यादा नहीं। १४. आहार-पानी- भोजन व पानी का अन्दाज से वजन धारना। १५ किलो या.... से ज्यादा नहीं। नीचे के नियम भी धारने चाहिये१. पृथ्वीकाय- पृथ्वी रूप सचित्त शरीर या उसके अचित्त शरीर का प्रमाण। जैसे मिट्टी, नमक, चुना, सुरमा, साबुन, पत्थर, पापड़, खार, साजी खार आदि खाने व वापरने का प्रमाण । २० किलो या.... से ज्यादा नहीं। घर काम की जयणा । इसी प्रकार नीचे भी समझें। अप्काय- पानी रूप सचित्त शरीर या उसके निर्जीव शरीर का प्रमाण। पीने व वापरने का पानी (१५ बाल्टी या........ से ज्यादा नहीं तेउकाय- अग्नि रूप सचित्त शरीर वाले या निर्जीव शरीर का प्रमाण। बिजली व गैसे के चूल्हे, दूसरे चूल्हे, भट्टी, स्टोव, इलेक्ट्रीक लटू आदि व पंखे के स्वीच व बेटरी रेडियो आदि का प्रमाम। १० घर के चूल्हें व २० घर के स्वीच आदि। वायुकाय- हाथ पंखे, इलेक्ट्रीक पंखे, एयर कंडीशन, वेक्यूम क्लीनर, कुंकणी, झूले आदि की संख्या। १५ पंखे आदि या... से ज्यादा नहीं। अभिमान यह अपमान को बुलावा है. S Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 90 5. वनस्पतिकाय- सचित्त या अचित्त वनस्पति का प्रमाण | संख्या से या वजन से धारना। 30 संख्या से या 20 किलो से ज्यादा नहीं। 6. त्रसकाय- चलते फिरते जीव को मारने की बुद्धि से नहीं मारना। 1. असिकर्म- तलवार, बन्दूक, चाकू, छूरी, कैंची सुई वगैरह का प्रमाण / 30 या... से ज्यादा नहीं। 2. मसिकर्म- स्याही, कलम, पेन्सील, होल्डर, पेन, चोक, बोल पेन की संख्या धारना। 20 या...... से ज्यादा नहीं 3. कृषिकर्म- खेती के साधन हल, पावड़ा, कोदाली गेंती आदि का प्रमाण धारना। 20 से या.... से ज्यादा नहीं। सुबह शाम वापिस याद करना, अर्थात् जितना कम हुआ हो, उतना लाभ हुआ इस प्रकार चिन्तन करना। इसके सिवाय सातवें व्रत में फूल गोभी, पत्ता गोभी, मूले के पत्ते का त्याग। दही व छाछ या इससे बनाये हुए परोठे आदि दो रात्रि के बाद नहीं खाना। आठ महीने पान भाजी त्याग, आर्द्रा नक्षत्र के बाद आम त्याग, फाल्गुन 15 के बाद खजूर-खारिक आदि त्याग व आषाढ 15 से सभी प्रकार का मेवा त्याग / उसी दिन तोड़ कर निकाली गई बादाम की गिरी खा सकते है। - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - भोजन से सम्बन्धित पाँच अतिचार | 1. सचित्त- कंद-मूल आदि का त्याग पहले किया हो उनको अनजानपने में भोगने / से यह अतिचार लगता है अथवा जिन वस्तुओं में त्रस जीवों का वध होता हो वे।। / 2. सचित्त सम्बन्धित- जिसमें सचित्त वस्तु का सम्बन्ध जुड़ा हो, जैसे खजूर, आम आदि फलों में गुठली आदि होने से वे सचित्त सम्बन्धित है। 3. अपक्व आहार- अग्नि संस्कार के बिना किया कच्चा आहार। 4. दुष्पक्व- जो वनस्पति आदि आधी पकी आधी कच्ची हो। 5. तुच्छ आहार- ऐसी वनस्पति या फल जिसमें खाने का भाग कम हों और / फेंकने का भाग अधिक हो, जैसे सीताफल आदि / | भोजन सम्बन्धी ये पाँच अतिचार श्रावक के लिए वर्जनीय हैं। - - - - -- - - - - - - -- - - - - - - - -- जिसकी जीभ रफ, उसका जीवन टफ. /