Page #1
--------------------------------------------------------------------------
________________
पुण्यबजीसी
उपा. भुवनचन्द्र
अमारा संग्रहमांना एक प्रकीर्ण पत्रमांथी मळेली आ रचना भाषाशब्द-विषयनी दृष्टिए रसप्रद जणायाथी अत्रे प्रस्तुत करी छे. रचना कक्कावली प्रकारनी छे पण कविए प्रत्येक वर्णना दहामां ते ते वर्णना घणा शब्दोनी योजना करी कृतिने वधु मनोरंजन बनावी छे, किन्तु एम करवा जतां कवि दूहामां सर्वत्र प्रास साचवी शक्या नथी. यवर्णमां जकारवाळा शब्दो पण कविए लीधा छे एम षकारना दूहामां खकारवाळा शब्दो पण ग्रहण कर्या छे. प्रत्येक दूहानी चोथी पंक्ति प्रतमां जेम छे तेम अहीं आपी छे. कृतिमां कर्तानुं नाम नथी, हस्तप्रतिमां पण नथी. भाषाना आधारे रचना १६मी सदी आसपासनी जणाय छे.
कुंकुम कज्जल केवडो, कामणि कूर कपूर; कोमल कपड कविरस ए पुन्नह अंकूर; खाजा खारिक सुरहडी, खसखस खांड खिजूर; क्षीरह भोयण खइरवडी, ए पुन्नह अंकूर; गाला गि(गी)य गयगामणी, गोधन गयवर बारि; गोहूं गुल गोरस जिमण, ए पुन्न पुण्य विचार. घेउर भोजन घोल घीओ, घमघमतो मंथान; घोडा हीसै घरंगणिइं, ए पुण पुण्य अहिनाण. नवजोवण नव नेह घण नैं नवरंगी नारि; नवरस नालेर नवनिधि ए पुन्यै पुण्य विचारि. चांपो चंदन चांदणो चंदावयणी नारि; चाउलभोजन चाओ घरि, ए पुन्न पुण्य विचारी; छासि छसको छांहडी, छागलियो परिवारि; छाइल ओढण छत्र सिरि, ए पुन्न पुण्य विचारि. चादर ओढण जाइ शिरि, जावंत्री मुखवास; जासक जीमण जोड घरि, ए पुन्न पुण्य विचार.
___ orm
w9 v
Page #2
--------------------------------------------------------------------------
________________
अनुसन्धान ५० (२)
झल्लरीनाद झमक पय, झमझमकाली नारि; । झालि झबूको झलहलइ, ए पुन्न पुण्य विचार. टाक टमको टहूकडो, टंकावलि टंकारि; टचकै वयण टामक घण, ए पुण पुण्यह विचारि. ठाओ ठमको ठहरइ, ठमकाली टं(ठं?)कार; ठाकुर ठाउ ठसक घण, ए पुण पुण्य विचारि. डाडी डोकर डाकरा, डहला डावर साल; डागलि बेसण डाहपुण, ए पुण पुन्यविचारि. ढोलक ढमकै बारणे, ढालू ढोल अपार; ढोलै ढाल सोहामणी, ए पुण पुन्य विचारि. तेजी तोरण बारणै, तरकस नै तरवारि; तंबोल तलित घण, ए पुन्न पुण्य अहिनाण. थाहर थानक थापणी, थूण सुजाण थभाण; थर थावर सुधिर घिरि, ए पुन्न पुण्य अंकूर. दान दया पर-त्तरस, दही पीजै गाध; दास दाडिम दीकरा, पुण्णहि पामै पुद्ध (?) धान धन धरित्त धव, धुणहि धयवड वारि; धज धव ललीय, ए पुन्न पुण्य विचारि. पान पदारथि प्रगटपण, पारख प्रगट प्रधान; प्रिय पाडोसणि प्रीति घण, ए पुन्न पुण्य अंकूर. फोफल फाडा फरहरइ, फारक घरनइ बारि; फूल घणा फलली (?), ए पुन्न पुण्य अहिनाण. बालपणै बूढपणइ, बिन्है बहुत्त सुजाण; बाई बेटा बेहेनडी, ए पुन्न है पुण्य विचारि. भाई भामणि भूपपण, भलपणे भरत्तार; भोज भाव अरोगीय, ए पुन्नहि पुण्य अंकूर. मणि माणिक मुत्ताहला, हय मयगल अति मयमत्त; मानणि माण महुत्त घण, ए पुन्न पुण्य विचार..
२२
Page #3
--------------------------------------------------------------------------
________________
मार्च २०१०
यत्न यात्रा नै यागफल, जन्म योग सुविचार; जीवदया जगि जाणीयइ, ए पुन्न पुण्यहि अंकूर. राणिम रूप रिद्धिपण, राजभेदि (?); राग रेवंता रिणय धण, ए पुन्न पुण्य अहिनाण. २४ लाडू लावन्न लापसी, लक्षण लीलावंत; ललना लाज लाखणी, ए पुन्न पुण्य विचारि. विद्या वाद विणिजपण, वर खाण व्यवहार; वाजी बैसण वयवपुण (?), ए पुन्न पुण्यहि अंकूर. २६ शसिवयण संतोष घण, शिवसुह सुखह झाण; रासि रयणी - त शाणपण, ए पुन्न पुण्य अहिनाण. २७ षिमा षडग षेत्रहि षरा, षिती षंतह वास: क्षेत्री षाज वाय को नही (?), ए पुन्न पुण्य विचार. २८ सुकुमाल समाणी सहेलडी, साहस सुख संपति; सुगुण सुरूप सुशील तनु, ए पुन्न पुण्य अंकूर. २९ हाय हाम हरिख हुई, हयवर हींसै बारि; हाथी चीर ज (?) पामीयई, ए पुन्नहि पुण्य अहिनाण. ३०
इति श्री पुण्यबत्रीसी संपूर्ण ।
शब्दकोश
खुरहडी : कोपएं (खरहडी - म.गु.को.) खइरवडी : खेरनी गोळी गाला : गळानुं बंधन घीओ (घीउ) : घी चाओ : धनुष्य जासक : खूब, सारी पेठे जोड : अहीं 'बळदनी जोड' झालि : काननुं आभूषण
Page #4
--------------------------------------------------------------------------
________________
अनुसन्धान ५० (२)
टंकावलि : एक प्रकारनो हार टचकै : टचाको ? ठाओ/ठाउ : स्थान ठसक : लटको, नखरं डाकरा : गर्जना, जोशीलो अवाज थाहर : स्थिर, स्थावर थूण : थांभली फाडा : फाडियां फारक : सैनिक सुखह झाण : शुक्लध्यान(?)
म. गु. को. मां नथी तेवा शब्दो छसको : छागलियो : छाइल : उत्तम वस्त्र ? (कच्छीमां छाल = साडी छे.) टामक : म. गु. को. मां टंबक्क = वाद्य विशेष छे. ठाहरइ :
ढालू :
तलित : थभाण : गाध : रिणय : लाखणी : (लाखेणी ?) खाजवाय : चीर : ('हीर' होई शके)