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पच्चक्खाण प्रभात के पच्चक्खाण
१. नवकारसी उग्गए सूरे नमुक्कार-सहिअं, मुट्ठि-सहि पच्चक्खाइ चउविहंपि आहारंअसणं, पाणं, खाइम, साइमं अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, महत्तरागारेणं, सव-समाहि-वत्तिया-गारेणं वोसिरइ.
२. पोरिसी / साड्ढ-पोरिसी / पुरिमड्ढ | अवड्ढ उग्गए सूरे पोरिसिं | साड्ढ-पोरिसिं / सूरे उग्गए पुरिमड्ढ | अवड्ढ मुट्ठि-सहिअं पच्चक्खाइ, उग्गए सूरे चउविहंपि आहारं- असणं, पाणं, खाइम, साइमं अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, पच्छन्न-कालेणं, दिसामोहेणं, साहु-वयणेणं, महत्तरा-गारेणं, सव्व-समाहि-वत्तिया-गारेणं वोसिरइ.
३. आयंबिल / नीवी / एकासणा / बियासणा उग्गए सूरे नमुक्कार-सहिअं / पोरिसिं | साड्ढ-पोरिसिं । सूरे उग्गए पुरिमड्ढ / अवड्ढ मुट्ठि-सहिअं पच्चक्खाइ उग्गए सूरे चउविहंपि आहारं- असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा गारेणं, पच्छन्न-कालेणं, दिसा-मोहेणं, साहु-वयणेणं, महत्तरा-गारेणं, सव-समाहिवत्तिया-गारेणं, आयंबिलं / निवि विगईओ पच्चक्खाइ अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, लेवा-लेवेणं, गिहत्थ-संसठेणं, उक्खित्त-विवेगेणं, पारिट्ठावणिया-गारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव्व-समाहि-वत्तिया-गारेणं, एगासणं बियासणं पच्चक्खाइ तिविहंपि आहारं- असणं, खाइम, साइमं अन्नत्थणाभोगेणं, सहसा-गारेणं, सागरिया-गारेणं, आउंटण-पसारेणं, गुरु-अब्भुट्ठाणेणं, पारिटठावणिया-गारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव-समाहि-वत्तिया-गारेणं, पाणस्स लेवेण वा, अलेवेण वा, अच्छेण वा, बहलेण वा, ससित्थेण वा, असित्थेण वा वोसिरइ. * भूतकाल के भार के साथ भविष्य की गति मुख्यद नहीं होती.
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४. तिविहार उपवास / पाणहार सूरे उग्गए अब्भत्तठं पच्चक्खाइ तिविहंपि आहारं-- असणं, खाइम, साइमं अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, पारिट्ठावणिया-गारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव्व-समाहि-वत्तिया-गारेणं, पाणहार पोरिसिं / साड्ढ-पोरिसिं सूरे उग्गए पुरिमड्ढ / अवड्ढ मुट्ठि-सहि पच्चक्खाइ, अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्न-कालेणं, दिसा-मोहेणं, साहु-वयणेणं, महत्तरा-गारेणं, सव्वसमाहि-वत्तिया-गारेणं, पाणस्स लेवेण वा, अलेवेण वा, अच्छेण वा, बहलेण वा, ससित्थेण वा, असित्थेण वा वोसिरइ.
५. चउविहार उपवास सूरे उग्गए अब्भत्तठं पच्चक्खाइ चउब्विहंपि आहारं-- असणं, पाणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, पारिट्ठावणिया-गारेणं, महत्तरागारेणं, सव-समाहि-वत्तिया-गारेणं वोसिरइ.
शाम के पच्चक्खाण
१. पाणहार पाणहार दिवस-चरिमं पच्चक्खाइ अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, महत्तरागारेणं, सव्व-समाहि-वत्तिया-गारेणं वोसिरइ.
२. चउविहार उपवास सूरे उग्गए अब्भत्तढं पच्चक्खाइ चउविहंपि आहारं-- असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव-समाहि-वत्तियागारेणं वोसिरइ.
३. चउबिहार दिवस-चरिमं पच्चक्खाइ चउविहंपि आहारं-- असणं, पाणं, खाइम, साइमं अन्नत्थणा- भोगेणं, सहसा-गारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव-समाहि-वत्तियागारेणं वोसिरइ.
बहोत मे अच्छे कार्य पहले भसंभव लगते है.
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________________ 79 ४.तिविहार दिवस-चरिमं पच्चक्खाइ तिविहंपि आहारं-असणं, खाइम, साइमं अन्नत्थणाभोगेणं, सहसा-गारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव्व-समाहि-वत्तिया-गारेणं वोसिरइ. 5. दुविहार दिवस-चरिमं पच्चक्खाइ दुविहंपि आहारं-असणं, खाइमं अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव-समाहि-वत्तिया-गारेणं वोसिरइ. 6. देसावगासिक देसावगासिक देसावगासिअं उवभोगं परिभोगं पच्चक्खाइ अन्नत्थणा-भोगेणं, सहसा-गारेणं, महत्तरा-गारेणं, सव-समाहि-वत्तिया-गारेणं वोसिरइ. 6996699069पच्चक्खाणेणं भंते! जीवे किं जणयइ? पच्चखाणेणं आसवदारं निरूंभई भगवन्! पच्चक्खाण से जीव को क्या प्राप्त होता है? गौतम! पच्चक्खाण से जीव (दुःख के कारणरूप ऐसे कर्मों के आगमनरूप) आश्रव के द्वारों को अवरूद्ध कर देता है. तवेण भंते! किं जणयइ? तवेणं वोदाणं जणयइ भगवन्! तप से जीव क्या प्राप्त करता है? गौतम! तप से जीव (पूर्व के उपार्जित कर्मों का नाश कर के) व्यवदान (आत्मविशुद्धि केवली अवस्था) को प्राप्त करता है. वोदाणेणं भंते! किं जणयइ? वोदाणेणं अकिरियं जणयइ. अकिरियाए भवित्ता तओ पच्छा सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाएइ, सव्वदुक्खाणमंतं करेइ. भगवन्! व्यवदान से जीव क्या प्राप्त करता है? गौतम! व्यवदान से जीव (मन-वचन-काया के योगों की) अक्रियता को प्राप्त करता है. अक्रियता वाला हो जाने के बाद वह सिद्ध होता है, बुद्ध होता है, मुक्त होता है, परिनिर्वाण को प्राप्त होता है और सर्व दुःखों का अंत कर देता है.. को फेक्टरी कभी बंद न कहो। मन की आईस फेक्टरी और जबान की मुगट फेक्टसी.X