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जैन रास काव्य : एक अध्ययन
-डा० विजय कुलश्रेष्ठ
हिन्दी साहित्य का आदिकाल पं० रामचन्द्र शुक्ल के साहित्येतिहास' के कालविभाजन से ही विचार विमर्श का कारण नहीं रहा है अपित इसलिए भी रहा है कि आदिकाल की सम्पूर्ण सामग्री का पूर्णत: विवेचन नहीं हो पाया है। पं० रामचन्द्र शक्ल द्वारा प्रणीत साहित्येतिहास के काल-विभाजन के अनुसार हिन्दी साहित्य के प्रारम्भिक काल को वीरगाथाकाल का नाम दिया गया था और परवर्ती विद्वान् शुक्लजी द्वारा प्रस्तुत इस नामक रण को उपयुक्त नहीं मानते थे । शुक्लजी ने इस आदिकाल अथवा उन्हीं के शब्दों में वीरगाथा काल का समय सम्वत् १०५० से सम्वत् १३७५ (सन् ६६३ ई०-१३१८ ई०) माना है।
शक्लजी का इतिहास कई कारणों से महत्त्वपूर्ण है और आज भी आदिकाल विषयक विवाद के इतर भी उसका अपना स्थान विशिष्ट है। शुक्लजी ने इस इतिहास लेखन में यह स्पष्ट घोषणा की थी कि सिद्धों' और योगियों की रचनाएँ साहित्य कोटि में नहीं आतीं और योगधारा काव्य या इतिहास की कोई धारा नहीं मानी जा सकती। इसी प्रकार उन्होंने जैन यतियोंमुनियों की रचनाओं को धार्मिक कह दिया तथा स्वीकार किया कि-"इस काल की जो साहित्यिक सामग्री प्राप्त है, उसमें काम तो असंदिग्ध हैं और कुछ संदिग्ध । असंदिग्ध सामग्री जो कुछ प्राप्त है, उसकी भाषा अपभ्रंश अर्थात् प्राकृताभास (प्राकृत की रूढ़ियों से बहत कुछ बद्ध) हिन्दी है।" इस कालावधि में ऐसी अनेक महत्त्वपूर्ण रचनाएँ हैं जो तत्कालीन अपभ्रंश में लिखी गई हैं तथा जिन्हें आचार्य शक्ल ने धार्मिक और साम्प्रदायिक रचनाएँ कहकर साहित्य के अंग के रूप में उन्हें अस्वीकार कर दिया है।
आचार्य शुक्ल की मौलिक दृष्टि और माहित्येतिहास के क्षेत्र में उनके विद्वत्तापूर्ण योगदान को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। यह उनकी अपनी विवशता और सीमा थी कि वे अपभ्रंश आदि में उपलब्ध जैन रचनाओं को धार्मिक और साम्प्रदायिक कहकर अस्वीकार करते हैं । परन्तु कालान्तर में जैन काव्य की विशुद्ध साहित्यिक परम्परा का भी परिचय मिलता है। हिन्दी साहित्य के इस आदि काल और उसके पूर्व एवं परवर्ती काल में जैन रचनाओं की एक सुदीर्घ परम्परा उपलब्ध होती है। काव्यशास्त्रीय दृष्टि से विविध काव्य रूपों के आधार पर हिन्दी के काव्य रूपों का अध्ययन भी आज हो चका है। उसी दिशा में हिन्दी के तथा उसके पूर्ववर्ती काल में काव्य रूप में रास या रासो काव्य रूप का प्रचलन उपलब्ध होता है । आदिकाल में प्रमुख काव्य रूप के स्तर पर 'रासो' काव्य रूप की बहुलता रही है।
हिन्दी में 'रास' या 'रासो' काव्य-परम्परा का एक विशिष्ट रूप है और 'शस' या रासो' की व्युत्पत्ति संस्कृत के 'रासक' से मानी जाती है, पर यह निर्विवाद है कि रासो काव्यधारा के विषय में आज भी विद्वानों का ध्यान अधिक नहीं गया। डॉ. हरीश ने 'आदिकाल के अज्ञात रासकाव्य' नामक कृति में कतिपय रास रचनाओं का उल्लेख किया है। रास और रासायन्वी काव्य में भी कतिपय रासो रचनाओं पर विचार किया गया है। डॉ. सुमन राजे के शोधप्रबन्ध में पहली बार दो सौ से ऊपर रासो रचनाओं का उल्लेख मिलता है । इसके इतर इन पंक्तियों के लेखक ने अपने अध्ययन की अवधि में ही पौने सात सौ रास ग्रंथों की सूचना एकत्रित की और अपने शोधप्रबन्ध की पृष्ठभूमि में उक्त पौने सात सौ रासो रचनाओं को काल क्रमानुसार क्रम देकर प्रस्तुत किया, यद्यपि यह शोध का मूल नहीं था फिर भी शोधार्थियों के सम्मुख रास काव्यों की एक सुदीर्घ परम्परा का उल्लेख समीचीन समझा गया था। १. सन १९२६ में नागरी प्रचारिणी सभा से प्रकाशित 'हिन्दी शब्द सागर' को भूमिका रूप में लिखा गया था और उसी वर्ष उसी भूमिका का प्रादि और पन्त
परिवर्धित करके उसे हिन्दी साहित्य के इतिहास के रूप में प्रकाशित किया गया। २. विस्तृत अध्ययन के लिये दखिए लेखक के अप्रकाशित शोध प्रबन्ध 'पृथ्वीराज रासो का लोकतात्त्विक अध्ययन' १९७३ (राजस्थान विश्वविद्यालय) का मध्याय
"हिन्दी रासो काव्य परम्परा भौर पृथ्वीराज रासो' पृष्ठ १-७३ तक।
आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ
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रासो काव्य द्वारा आदिकालीन साहित्य की जैन धर्म का प्रवृत्तियों से प्रभावित रहते हुए लौकिक साहित्य अथवा लोकसाहित्य गत प्रवृत्तियों से अपना प्राणतत्त्व ग्रहण करती है । उक्त प्रकार से रास काव्यों में दो स्पष्ट धाराएँ परिलक्षित होती हैं :
(i) जैन रास काव्य-धारा
(ii) जैनेतर रास काव्य-धारा
जैन रास काव्यधारा में भी कई भेद किये जा सकते हैं । जैन साहित्य आचार्य शुक्ल के मतानुसार मात्र धार्मिक या सम्प्रदायपरक नहीं है। विशेषकर जैन साहित्य को विविध स्तरों पर रख सकते हैं ताकि हम अपने अध्ययन की दिशा को स्पष्ट कर सकें। इस रूप में जैन कवियों की रासविषयक रचनाओं की गणना उचित होगी जो इस प्रकार है
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रास रचना
१.
राम रासो
२. मुंज रास
३. उपदेश रसायन रास
४. बाहुबलि रास
५. कुमारपाल प्रतिबोध रास
६.
७.
८. भरतेश्वर बाहुबलि रास
आरास या नेमि जिणन्द रास
भरतेश्वर बाहुबलि घोर रास
६. बुद्धिराम
१०. चन्दन बाला रास
११. जीवदया रास
१२. जम्बूस्वामी राम
१३. यूलिभद्र रास (स्थूलभद्र रास ) नेमिनाथ रास
१४.
१५. शान्ति नाथ देव रास
१६. रेवन्त गिरि रास
१७.
नेमि रास
१८.
१६.
२०. गुणावली रास
२१. गिरिनार रास ( जम्बू रास )
२२. महावीर रास
२३.
अन्तरंग रास
गयसकुमाल रास
गुण सागर रास
जैन साहित्यानुशीलन
रचनाकाल
१०४३
११५०
११७१
११८४
११८५ (१२४१)
१२०६
१२२५
१२३१
१२४१
१२५७
१२५७
१२६६
१२६६
१२७०
१२७४ (१३१३)
१२८८
१२६५
रचना काल के साथ कोष्ठक में उस नाम की रचना का परवर्ती काल दिखाया गया है।
१३०७
१३१६
रचयिता
समय सुन्दर
अज्ञात
जिनदत्त सूरि शालिनद सूरि
सोमप्रभ
पाल्हण
बचसेन सूरि
(i) जिनदत्त सूरि
(i) शालिभद्र रि
(i) जिनदस ि
(ii) शालिभद्र सूरि
आसगु
आसगु धर्मसूरि
जिनधर्म सूरि
(i) सुमति गणि
(ii) जिनप्रभ
लक्ष्मी तिलक उपाध्याय विजयसेन सूरि सुमति गणि निरान सूरि
अभय तिलक गणि
जिनप्रभ सूरि
१३१
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१३२
२४. तीर्थमाला रास
२५. सप्तक्षेत्रि रास
२६. जिनेश्वर सूरि दीक्षा विवाह वर्णन रास २७. जिनेश्वर सूरि संयमत्री विशह वर्णन रास २८. शालिभद्र रास
२६.
गौतम रास
३०.
३१.
३२.
३३.
३४.
३५.
रास रचना
४१. ४२.
३६. जिनकुशल सूरि पट्टाभिषेक रास
३७. जिनपद्म सूरि पट्टाभिषेक रास ३८. जिनदत्त सूरि पट्टाभिषेक रास
३६.
४०.
बारहव्रत रास
जिन चन्द्र सूरि वर्णन रास
कच्छूली रास
बीस बिरहमान रास
समरा रास या संघपति समरा रास श्रावक विधि रास
क्षेमप्रकाश रास
पंचपंडव (चरित्र) रास
कलावती (कमलापति) रास
मयण रेहा रास
४३. त्रिविक्रम रास
४४. जिनोदय सूरि पट्टाभिषेक रास
४५. शिवदत्त रास
४६. कलिकाल रास
४७.
कुमारपाल रास ४८. देवसुन्दरि रास
४६. शालिभद्र रास
५०. जिनभद्र सूरि पट्टाभिषेक रास
५१. वस्तुपाल
तेजपाल रास
५२. विद्याविलास रास
५३. बेझर स्वामी गुरु रास
५४. परदेशी राजा नो रास
५५.
सागर दत्त रास
रचनाकाल
१३२३
१३२७
१३३१
१३३२
१३३२
१३३३
१३३८
१३४१
१३६३
१३६८
१३७१
१३७१
१३७७
१३८८
१३८६
१४१०
१४१०
१४५१
१४१३
१४२५
१४१५
१४१५
१४२३
१४२६
१४६०
१४८६
१४३०
१४४५
१४५५
१४७५
१४६४
१४८५
१४८६
१४६२
१४९३
रचयिता
आनंद सूरि ( प्रेम सूरि )
(i) जगड
(ii) विजय भद्र
सोममूर्ति
राजतिलक गणि
विनयचंद्र सूरि
विनयचन्द्र सूरि
श्रावक लक्खम सिंह प्रज्ञातिक सुरि
वस्तिम
अम्बदेव सूरि
(i) गुणाकर सूरि
(ii) धनपाल
मुनि धर्मकलश
सारमूर्ति धर्म कलश जयानंद सूरि शालिभद्र सूरि विजयभद्र ि
(i) हरसेवक मूर्ति
(ii) जिनप्रभ सूरि
(iii) य
विनोदय मूरि
ज्ञानकलश
सिद्ध सूरि (i) शालि मूरि
(ii) नमचंद सूरि
(iii) हीरानंद ि
देवप्रभ गणि
कवि चांप
साधु हंस
समयप्रभ गणि
(i) शाति सूरि
(ii) हीरानंद सूरि
हीरानन्द सूरि
जयसागर उपाध्याय
सहज सुन्दर शान्तिसूरि
रत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ
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रास रचना
५६. दशार्णभद्र रास
५७. सिद्धचक्र श्रीपाल रास
५८. विक्रम चरित कुमार रास ५६. सोलहकारण रास
६०. प्रसन्नचन्द्र राजपि रास ६१. चूनडी रास
६२.
द्रव्य गुण पर्याय नो रास ६३. समाधि रास
६४. ईरियावली रास
६५. रोहिणीय प्रबन्ध रास
६६. रोहिणिया चोर रास
६७. जीराउल पार्श्वनाथ रास
६८. सुदर्शन श्रेष्ठि रास ६६. नलदवदन्ती रास
७०.
धन्ना रास ७१. नागश्री रास
७२. हरिवंश रास
७३.
७४.
७५.
सिद्ध चक्र रास
७६. करकण्डु चरित रास
७७.
मयणरेहा (सती) रास
वस्तुपाल तेजपाल रास
७८.
७६. सारसिखामण रास
आत्मराज रास
यशोधर रास
८०.
हरिबल राजर्षि रास ८१. नेमिनाथ रास
८३.
८४.
८२. कुमारपाल रास
जैन साहित्यानुशीलन
८५. सुदर्शन रास
अजापुत्र रास
बंक चूल नो पवाडउ रास
रचनाकाल
१४६५
१४६८
१४६६
१४६६
१५०१
१५०८
१५१२
१५३३
१५१४
१५१६
१५२०
६५३१
१५३३
१५३६
१५३७
१५३७
१५३८
१५४८
१५५२
१५५८
१५५६
१५६१
१५६५
१५६७-८०
| |
रचयिता
(i) शालि सूरि
(ii) हीरानंद सूरि
माण्डण कवि
साधु कीर्ति (i) सकल कीर्ति (ii) चन्द्र कीर्ति
सहजसुन्दर
विनय चंद्र
यशोविजय गणि
चरित सेन
सहज सुन्दर मुनि सुन्दर सूरि
देपाल
मुनि सुन्दर सूरि निदास
11)
(ii) ऋषिवर्धन सूरि
(iii) महीराज
मतिशेखर वाचक
ब्रह्म जिनदास
ब्रह्मजिनदास ज्ञानसागर
सहज सुन्दर (i) ब्रह्मजिनदास (ii) सोम क
मतिशेखर वाचक मतिशेखर वाचक पार्श्वनाथ सूरि
(i) संग सुन्दर
(ii) सकल कीर्ति
कुशल संयम
(i) जिनसेन (ii) हेम सार (i) ऋषभ दास
(ii) वल्लभ गणि
धर्मदेव ज्ञानचंद सूरि
(i) धर्म समुद्र गणि (ii) मेलिंग
(iii) ब्रह्मजिनदास
१३३
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________________
१३४
रास रचना
८६.
८७.
८८.
८६.
शकुन्तला रास
सुमित्रकुमार रास
विमल मंत्री रास
विमल मंत्री रास
६०. रत्नचूड़ को रास
६१. पुण्यसागर गुण रॉस
६२, ऋषिदत्ता रास
१३.
४.
६५. चतुःपर्वी रास
६६.
करसम्वाद रास
६७.
६८.
६६.
१००.
१०१.
जम्बू अन्तरंग रास
श्रावकाचार रास
रत्नसार रास
विक्रम प्रबन्ध रास
अगड़दत्त रास
कुलध्वज कुमार रास
विजय कुंवर रास
१०२. तैतली मंत्री रास
१०३. श्रीपाल रास
१०४. जम्बूस्वामी राम
१०५. अभयकुमार श्रेणिक रास
१०६. अजितनाथ रास
१०७. अनन्तव्रत रास १०५. अणवीस
मूल गुण रास
अम्बिका रास
१०६. ११०. रोहिणी रास १११. ज्येष्ठ जिनवर रास
११२. जीवन्धर रास
११३. दस लक्षण रास
११४. धन्य कुमार रास ११५. धनपाल रास ११६. धर्मपरीक्षा रास ११७. नेमिश्वर रास ११८. पुष्पाञ्जलि रास
रचनाकाल
१५६७
१५६७
१५६७
१५६८
१५७१
१५७१
१५७२
१५७२
१५७४
१५७४
१५७५
१५८२
१५८३
१५८४
१५८४
१५६०
१५६५
१५६६
।।।।।
रचयिता
धर्मसमुद्र गणि धर्मसमुद्र गणि
धर्मसमुद्र गणि
लावण्य समय गणि शिवसुख विमलमूर्ति
(i) सहज सुन्दर
(ii) जयवन्त सूरि
सहज सुन्दर
प्रताप कीर्ति
मुनिचन्द्र लाभ लावण्य समय गणि
सहज सुन्दर विनय समुद्र
हरचन्द धर्मसमुद्ररचि रिख लालचंद
सहज सुन्दर
(i) विनय विजय
(ii) ब्रह्म निदास
(iii) ब्रह्म राय मल्ल
(iv) गुण रत्न (i) ब्रह्मजिनदास
(ii) भुवन कांति
मुनि सुन्दर सूरि ब्रह्म निदास
"
21
"
"1
31
"1
13
17
""
"1
"
"1
"3
आचार्यरन श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थः
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रास रचना
रचनाकाल
रचयिता ब्रह्म जिनदास
१२६.
११६. परमहंस रास १२०. प्रद्युम्न रास १२१. बंकचूल रास १२२. भविष्यदत्त रास १२३. भद्रबाहु रास १२४. श्रेणिक रास १२५. समकित रास १२६. समकित मिथ्या तत्त्व रास १२७ सकौशल स्वामी रास १२८. सुभौम चक्रवर्ती रास
होली रास १३० हनुमत रास १३१. हितशिक्षा रास १३२. चारुप्रबन्ध रास १३३. नागकुमार रास १३४. कर्म विपाक रास १३५. करकण्डु रास १३६, इलापुत्र रास १३७. रतन कुमार रास १३८. शुक सहेली कथा रास १३६. रात्रि भोजन रास १४०. जावड़-भावड़ रास १४१. पार्श्वनाथ जी राउला रास १४२. श्रेणिक राजा नो रास १४३. जलगालण रास १४४. नागद्रा रास १४५. षटकर्म रास १४६. कल्याणक रास या पंच कल्याणक रास १४७. शत्रु'जय रासो १४८. सुकुमाल स्वामी को रास १४६. शील रास १५०. रोहिणेय रास
विनय समुद्र सहज सुन्दर सहज सुन्दर धर्मसमुद्र गणि देपाल देपाल देपाल ज्ञान भूषण ज्ञान भूषण ज्ञान भूषण विनयचंद्र मुनि जिनहर्ष गणि ब्रह्म धर्मरुचि
विनय समुद्र (i) विनय समुद्र (ii) ऋषभदास
विनय समुद्र तिल्हण
देवगुप्त चन्द्र सूरीश्वर (i) ब्रह्म गणराज (ii) कृष्ण राय
शान्ति सूरि मालदेव
१६०४ १६०४ १६६२ १६०४
१५१. चित्रसेन पद्मावती रास १५२. कुट्टनी रासक १५३. अमरदत्त मित्रानंद रास १५४. प्रधुम्न रास
१५५. सागर दत्त रास १५६. मृगांक पद्मावती रास १५७. पद्यावती पद्मश्री रास
१६१२-१४ १६१२
मालदेव
१३५
जैन साहित्यानुशीलन
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________________
१३६
१५८.
१५६.
१६६.
१६०. माधवानल कामकन्दला चुपई रास
१६१. मारूढोला रास
१६२. पूजा मुनि रास
१६३. महातपस्वीश्री पूजा मुनि रास १६४. रोहिणीयत रास
१६५. हंसराज बच्छराज रास
१६७.
१६८.
१६६.
१७०.
१७२.
रास रचना
१७३.
१७४.
चन्दनबाला रास
नल दवदन्ती रास
धर्मपरीक्षा रास
१७१ जम्बूस्वामी राम
श्रेणिक रास
तेजसार रास
सम्यकत्व कौमुदी रास
पार्श्वनाथ रास
अगड़धत्त रास
प्रद्युम्न
रासो
श्रीपाल रास
लोकनिराकरण रास अकबर प्रतिबोध रास
१७५. १७६.
१७७. सुदर्शन राम
१७८. शील रक्षा रास
रचनाकाल
१६१४
१६६५
१६७३
१६१४
१६६१
१६१६
१६१६
१६१७
१६१७
१६२०
१६२१
१६७५
१६२१
१६२४
१६२४
१६२४
१६५६
१६६७
१६२५
१६६७
१६२५
१६४२
१६६१
१६२५
१६४१
१६८१
१६२५
१६२६
१६७५
१६२७
१६२८
१६२६
१६२१
रचयिता
विनय समुद्र
नय सुन्दर
समय सुन्दर
(i) विनय समुद्र (ii) मेघराज
कुशल लाभ
कुशल लाभ ऋषि दल भट्ट
समय सुन्दर
(i) विशाल कीर्ति
(ii) भगवती दास
(i) जिनोदय सूरि
(ii) मानसिंह मान
(iii) अणि विजय (i) धर्मशील
(ii) ऋषभदा
(i) कुशल लाभ
(ii) महीराज
हीर कलश
(i) विनय समुद्र वस्तुपाल
(ii)
(iii) ब्रह्म कपूरचंद
(i) सुमति कीर्ति
(ii) सहजकीति
(i) त्रिभुवनकीर्ति
(ii) राजपाल
(iii) भुवनकीर्ति पाठक
(i) कुशललाभ
(ii) गुणविनय
(iii) सुन्दरवाचक
ब्रह्मरायमल्ल
(i) पद्मविजय
(ii) ज्ञान सागर
(iii) गुण रत्न
रतन भूषण या राजभूषण
(i) समय प्रमोद
(ii) जिनचंद्रसूरि
(1) ब्रह्म रायमल्ल
(ii) रूपबंद पा
नय सुन्दर
आचार्यरत्न श्री वेशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ
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रचनाकाल
रचयिता
रास रचना १७६. श्रीपाल चरित्र रास १८०. शील रासा
१६३०-३२
१६४३ १६४४ १६३२
१८१. जिनपालित जिन रक्षित रास १८२. भविष्यदत्त रास
१८३. विक्रम रास १८४. श्रावण्ड विद्याधर रास १८५. हरिकेशी रास १८६. योनी (जोगी) रासा
१६४० १६४२
१८७. माली रासा १८८. मगावती चरित रास १८६. सगर प्रबन्ध रास १६०. नेमिनाथ शील रास १६१. अमरसेन वयरसेन रास
१६४२ १६४३ १६४३ १६४४
ब्रह्म रायमल्ल (i) जैत राम (ii) ब्रह्मराय मल्ल (iii) विद्याभूषण सूरि (iv) विजयदेव सूरि
कनक सोम (i) ब्रह्मराय मल्ल (i) विद्याभूषण सूरि
मंगल माणिक्य मंगल माणिक्य
कनक सोम (i) पाण्डे जिन दास (ii) भगवती दास
पाण्डे जिनदास सकलचंद नरेन्द्र कीर्ति भट्टारक
विजय सूरि (i) रंगकलश (ii) जयरंग (iii) राज सुन्दर
___ नय सुन्दर (1) प्रसन्न चंद्र (ii) समयसन्दर (i) कनकसोम (ii) सर्वानन्द सूरि
जल्ह (i) परमाल (ii) हेमानन्द
समय प्रमोद (i) कनककीर्ति (ii) पाण्डे रूपचंद (iii) भाऊ (i) भट्टारक महेन्द्र कीर्ति (ii) गुण विनय (iii) महानंद (iv) भालमुनि (v) विमल चरित्र
ऋषि सूजा गुण विनय गुण विनय
१६५७ १६४४ १६४७ १६८१ १६४६
१६२. सुर सुन्दरी रास १६३. बल्कलचीरी रास
१६४. मंगल कलश रास
१६५. बुद्धि रासो १६६. भोजचरित्र रास
१६५१ १६५४ १६५२
१९७. युग प्रधान निर्वाण रास १६८, नेमिनाथ रास
(६८४
१६६. अंजना सुन्दरी रास
१६६२ १६५२ १६६२
२००. रत्नसिंह रास २०१. बारहवत रास २०२. कर्मचन्द वंशावली रास
१६६३ १६५२-८४ १६५५ १६५६
जैन साहित्यानुशीलन
१३७
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रास रचना
रचनाकाल
१६५७
१६५६
२०३. प्रद्युम्न कुमार रास २०४. श्री शील रास २०५. हरिश्चन्द्र रास २०६. शाम्ब प्रभुन्न रास २०७. सुदर्शन श्रेष्ठि रास २०८. सेल सेली नो रास २०६. उपदेश रास २१०. चार प्रत्येक बुद्ध रास २११. पृथ्वीचंदकुमार रास
कलावती रास २१३. दानशील तपभावना रास
१६६१
१६६८
१६६९ १६७० १६७२ १६७३ १६७३
२१४. विक्रमचरित रास २१५. आदित्यवारकथा रास २१६. प्रियमेलक तीर्थ प्रबन्ध रास २१७. नेमि कुमार रास २१८. लीलावती रास २१६. धन्नाचरित्र रास २२०. धन्ना शालिभद्र रास २२१. मनक रहा रास २२२. ऊंदर रासो २२३. जिनराज सूरि रास २२४. शत्रुजय रासो
१६७५ १६७६ १६८० १६८० १६८१ १६६३ १६८२ १६८४ १६८२ १६८२
रचयिता श्रीभूषण विजयदेव सूरि कनक सुन्दर समय सुन्दर सहजकीर्ति मेघराज हीराचंद श्रावक समय सुन्दर गुणसागर
सहजकांति (i) समय सुन्दर (ii) कृष्णदास
विमलेन्द्र पृथ्वीपाल अग्रवा समय सुन्दर वीर चन्द्र हेमरत्न सूरि मति शेखर वाचक समयसुन्दर भगवती दास
राजसोम गणि (i) जयकाति गणि (ii) श्री सार (i) सकलचंद (ii) समय सुन्दर
समय सुन्दर (i) समय सुन्दर (ii) नय सुन्दर
मुनि नारायण गण विजय केशराज पुण्य भवन ज्ञान सागर दर्शन दिजय रतन विमल कल्याण की त
पृथ्वीपाल अग्रवाल (i) रिख कदम
(ii) कनक कीर्ति आचार्यरत्न श्री वेशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ
२२५. वस्तुपाल तेजपाल रास २२६. शत्रुजय उद्धार रास
२२७. आइमता कुमार रास
१६८३ २२८. विजय सिंह सृरि विजय प्रकाश रास १६८३ २२६. रामयशो रसायन रास
१६८३ २३०. पवनजय अंजना सुन्दरी हनुमत चरित रास १६८४ २३१. सिद्धचक रास
१६८५ २३२. विजयतिलक सूरि रास
१६८६ २३३. अमरतेज राजा धर्म बुद्धि मंत्री रास २३४. चारुदत्त रास
१६६२ . श्रुतपंचमी रास २३६. नवकार रास
१६९२
१६६२
१३८
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रास रचना
रचयिता
१६९८ १६९८
सहज सुन्दर शील सुदर्शन समय सुन्दर समय सुन्दर रूपचंद महिमा निधि भगवती दास
२३७. छुल्लक कुमार रास २३८. मोक्षगामी रास २३६. पुजरत्न ऋषि रास २४०. गजसुकुमाल रास २४१. वणिजारो रास २४२. हरिषेण श्रीखेण रास २४३. आदत्तिवन रासा २४४. टण्डाला रास २४५. वसलक्षण रास २४६. पखवाड़ा रास २४७. खिचड़ी रास २४८. साधु समाधि रास २४६. आसाढ़भूति रास २५०. राम सीता रास २५१. नेमि राजमती रास २५२. नेमिसर राजमती रास २५३. मत्स्योदर कुमार रास २५४. मेघकूमार रास २५५. महावीर रास ५५६. नागिला भवदेव रास २५७. रात्रिभोजन वर्जन रास २५८. विक्रमादित्य पंचदण्ड रास
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ब्रह्मगुण कीर्ति विनयदेव सूरि रतन मुनि पुण्यकीर्ति कविपुण्यो रामदास समय सुन्दर भुवनकीर्ति
लक्ष्मी बल्लभ (i) भालमुनि
जिनराज मूरि सकल चंद कुशल संयम विनय सुन्दर ज्ञान भूषण
२५६. कयवन्ना रास २६०. वासुपूज्य पुण्य प्रकाश रास २६१. हीर बलमाछी रास २६२. सुरसुन्दरी चरित्न रास २६३. पोषहरास २६४. छोति रास २६५. स्त्री रासो २६६. विवुध विमल सूरि रास २६७. श्रीवीर विजय निर्वाण रास २६८. पल्य विधान रास २६९. चन्दराजा रास
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पातु
गद्द कवि
१७०६ १७०७
१७०६
२७०. चन्दन मलयगिरि रास २७१. पुण्यसार रास २७२. त्रिभुवनकुमार रास २७३. चन्दनप रास
२७४. गुणावली रास जैन साहित्यानुशीलन
अनन्तनाथ (i) तेज मुनि तेजल (ii) नल्हसिंह
खेम हर्ष मुनि पद्म उत्तमसागर लब्धरुचि गजकुशल
१७१२ १७१३
१३६
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रचना
रचयिता
सकल चंद देव विजय
७५. सरपाल चरित्र रास २७६. श्रीचंद केवली रास २७७. इलायची रास २७८. मंगलकलश रास २७६. जोगी रासो
१७१७ १७१६
१७२०
२८०. धर्म रासो २८१. पालकूमार रास २८२. रत्नचड़ व्यवहारी रास २८३. नंदिसेन रास २८४. शाम्ब प्रद्युम्न रास
१७२३ १७२३ १७२४ १७२५ १७२७
२०५. चन्दलेहा रास .२८६. कर्मविपाक रास २८७. राजाभोज चरित्र रास २८८. धन्ना रास
१७२८ १७२८ १७२६ १७३२ १७७२ १७३२
२८६. रत्नपाल रासो
१७७६
२६०. जितारी रास २६१. सुरसुन्दरी रास २६२. अमर कुंवर सुर सुन्दरी रास २६३. श्रीपाल नप रास २६४. गुणमाला रास २६५. सीताचरित रास २६६. हरिचंद रास २६७. उत्तम चरित्रकुमार रास २६८. कन्हड़ कठियार रास २६६. रत्नचूड़ मणिचूड़ रास ३००. श्री शत्रुजय तीर्थ रास ३०१. माकंड रासो ३०२. जीवसिखामण रास ३०३. सुभद्रा रास
१७३४ १७३५ १७३६ १७४३ १७४३ १७४३ १७४४ १७४५ १७४६ १७४६ १७५५ १७५७ १७५८ १७५६ १७६२ १७५६ १७६० १७६० १७६१ १७६१ १७६७ १७६७
ज्ञान सागर
दीप्ति विजय (i) जिणदास पाण्डे (ii) भगवती दास
अचल कीति नरसिंह गणि कनक निधान
ज्ञान सागर (i) ज्ञान सागर (ii) ऋषि हेतराम
मतिकुशल वीरचन्द्र मुनि
कुशल धीर (i) मुनि खेता (ii) भावरत्न (i) सुरचन्द्र (ii) सूर विजय
तेजमुनि तेजल धर्मवद्धन विजय हर्ष जिनहर्ष सूरि कहानजी कीर्ति सुन्दर रायचंद्र जिनहर्ष जिनहर्ष मानसागर लब्धोदय जिनहर्ष कीर्तिसुन्दर
प्रभु चन्द्र (i) उदय रत्न (ii) भाव प्रभ
कीति सुन्दर किशनसिंह मोहनविजय जिनहषं लक्ष्मी विनय उदय रत्न
दीप्तिविजय आचार्यरत्न श्री वेशभूषण जी महाराज अभिनन्दन प्रस्थ
३०४. अभयकुमारादि पांच साधु रास ३०५. णमोकार रास ३०६. मानतुग मानवती रास ३०७. आरामशोभा रास ३०८. अभयकुमार मंत्रीश्वर रास ३०६. लीलावती सुमति विलास रास ३१०. यशोधर रास
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रास रचना
३११. व्रतविधान रास
३१२ पापबुद्धि धर्मबुद्धि रास ३१३. षोडशकारण रास
३१४. आनंद मंदिर रास ३१५.
मलय सुन्दरी रास
३१६. सुदर्शन सेठ रास
३१७. द्रोपदी रास
३१८. मानवती रास
३१६.
चंद रास
३२०. केसरिया जी रो रास
३२१. निन्व रास
३२२.
हो रास
३२३.
विक्रमपंच दण्ड रास
३२४.
रूध रास
३२५.
अष्ट प्रकार पूजा रास
३२६. पन्द्रहवीं विद्या (कला) रास
३२७. नयमासुन्दरी रास
३२८. अमरकुमार रास ३२६. त्रयोदश मार्गी रास ३३०. अठाई रास
३३१. ऋषभ रास
३३२. भावदेवसूरि राम
३३३. विद्याविलास रास
३३४. सगलशा रास ३३५. सप्तव्यवसन रास
३३६. मृगावती रास
३३७. माणिक देवी रास
३३८. पुण्डरीक कण्डरीक रास
३३६.
विजय रास
३४०.
३४१. ३४२. विमल मंत्री रास
३४३.
३४४.
३४५.
३४६.
३४७.
३४८.
अयवन्ता मुणिन्द रास आत्म-सम्बोधि रास
जैन साहित्यानुशीलन
३४६. प्रद्युम्नकुमार रास
शकुन्तला रास
सारसिखावण रास हर सूरि रास
बुद्धि सागर निर्वाण रास
विनयचट रास
उत्तम कुमार रास
रचनाकाल
१७६७
१७६८
१७६६
१७७०
१७७५
१७७५
१७८०
१७८२
१७८३
१७८३-८४
१७८६
१७६२
१७६५
१७६५
१७६८
१८०५
१८१०
१८१०
१८६५
१८१८
रचयिता
दोलराम संगठी
उदय रत्न
सकलकीर्ति
ज्ञानविमल सूरि कान्ति विजय
होर मुनि
(i) समय सुन्दर
(ii) कनक कीर्ति
गुलाब विजय मोहन विजय सीह विजय भीखा जो पं० रघुनाथ
नरपति
पं० रघुनाथ
उदयरत्न
वीरचन्द्र
मोहन विजय लक्ष्मी बल्लभ धर्म सार
विनयकीर्ति
गुणरत्नरि
जगरूप
हीरानंद सूरि कनक सुन्दर वीरबन्द
समय सुन्दर
निहाल सिंह
मुनि नारायण नाभवर्द्धन
जेयल
बनारसी
लावण्य समय धर्म समुद्र सम्वेग सुन्दर
ऋषभदास
दीपो
ऋषभ सागर
(i) विनय चन्द्र
(ii) जन
मयाराम भोजक
१४१
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रचनाकाल ३५०. आर्द्रकुमार रास
१८१६ ३५१. बीस स्थानक रास
१८२५ ३५२. रत्नपाल रास
१८२७
१८६७ ३५३. अष्ट प्रकार रास
१८२९ ३५४. राम रासा
१८३२
१८६५ ३५५. शील विषय विजय सेठ विजयासती को रास १८३३-४३ ३५६. रूपसेन रास
१८५० ३५७. खेमासानो रास ३५८. गौतम रासो
१८६६ ३५६. अजापुत्र रास
१८७० ३६०. मयनरेहा रास
१८७०
रचयिता मानकवि
जिनहर्ष (i) सेवक सूर (ii) मोहनविजय
उदय रत्न (i) सुज्ञान सुन्दर (ii) आनन्द नगद मणि
राय चंद्र महानन्द लक्ष्मीरल रिखि रायचंद्र धर्मदेव
विनय चन्द्र (ii) हरसेवक
मुनिपद्म शुभचंद्र जिनरास
३६१. पद्यावती जीव रास ३६२. अष्टानीवर्तनो रास ३६३. अनन्त व्रत रास ३६४. पोस्ती रास ३६५. जम्बू चरित्र रास ३६६. सभाविलास रास ३६७. गणकरउ गणावली रास ३६८. सनतकुमार चक्री रास ३६६. जसी (यती) रास
१८७० १८७१ १८७१ १८७ १८७२ १८७३ १८७४ १८७५ १८७६
३७.. रात्रि भोजन रास
१८७७ ३७१. लंकापत निराकरण प्रतिमा स्थापन रास १८७७ ३७२. गोधा रासो
१८८० ३७३. श्रुत पंचमी रास
१८६ ३७४. आदिनाथ रास या निरमलो रास
मुनिपद्म लालकवि दीपो
लब्धि विजय (i) ऋषभदेव (ii) जैन जुहार (iii) भीख चंद
गण्मे कवि सुमतिकीति शानदास सेवक धर्मदास ब्रह्म जिनदास भुवनकीति माई दास जिनहर्ष ब्रह्मदास मुनि पद्य ज्ञानभूषण दलपत राम जयाचार्य
।
३७५. अम्बरीषी रास ३७६. शत्रुजय गिरिवर रास ३७७. सुदामा चरित्र रास ३७८. रुक्मिणीहरण रास ३७६. पोषह रास ३८०. नाना नाना रास ३८१. लषु रास ३८२. समेत शिखर रासो ३८३. शालिभद्र धनभा (ग) स ३८४. शान्तिनाथ रास ३८५. राजसिंह रतनवती पंच कथा रास ३८६. कलजुग चलन रस रास ३८७. उदाई राजा रास ३८८. गौतमस्वामी रास ३८९. बुध रासो
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२००६
आचार्य तुलसी विनय चन्द्र
माचार्यरत्न भी वेशभूषण जी महाराज अभिनन्दन अन्य
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________________ रास रचना रचनाकाल रचयिता 36.. वाणियां रासो भानुदास टलू 361. पोस्ती रासो बखतो बालिया इसके अतिरिक्त रास काव्य रूप के ही अनुरूप अन्य काव्य रूप संझक रचनाएं और उपलब्ध होती हैं३६२. भविष्यदत्त कहा (धनपाल) 393. कबलयमाला कहा 364. लीलावई कहा 365. सन्दसण चरिउ 366. करकण्डु चरिउ 367. जिणदत्त चरिउ 368. णायकुमार चरिउ (पुष्पदन्त) मुख्य रूप से उक्त सभी जैन रास संज्ञक रचनाओं को हम निम्न रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं(क) चरित्र काध्य (i) यतियों, मुनियों के चरित्राख्यानक रास काव्य / (ii) तीर्थंकरों के चारित्र्याख्यानक रास काव्य / (iii) तीर्थ-स्थलों के माहात्म्य विषयक रास काव्य (ख) नीति एवं आचार विषयक रास काव्य (ग) व्रत एवं उपासना के विधि-विधानपरक रास काव्य (घ) पौराणिक कथा-सम्मत रास काव्य (i) राम चरित्रपरक (ii) कृष्ण चरित्रपरक (ङ) रोमांचक रास काव्य (च) व्यंग्य-विनोदपरक रास काव्य उक्त वर्गीकरण के आधार पर उपयुक्त अंकित सभी रचनाओं का पुनर्प्रस्तुतीकरण यहां समीचीन नहीं होगा। मनि जिन विजय महाराज ने जैन रास की परम्परा का विकास शालिभद्र सूरि प्रणीत भरतेश्वर बाहुबलि रास सम्वत् 1241 विक्रम (सन 1184 ई०) से माना है। हमारी सूचना के अनुसार यह रचना 1231 विक्रम की है लेकिन इससे पूर्व भी अब कुछ रचनाओं का उल्लेख मिल जाता है। जैन साहित्य में जहां रासो संज्ञक रचनाओं की प्रचुरता है, वहीं जैन कवियों ने आचार, फाग, चरिउ, कहा, चर्चरी आदि काव्य रूपों की शैली में भी रचनाएं प्रस्तुत की हैं। जैन साहित्यकारों, विशेषकर जैनसाधुओं ने, 'रास' काव्य रूप को प्रभावशाली काव्य शैली के रूप में अपनाया और प्रशस्त किया तथा ऊपर किये गये वर्गीकरण के अन्तर्गत उन्होंने अपने तीर्थंकरों के जीवन-चरित तथा वैष्णव अवतारों की कथाओं को भी जैन आदर्शों के आवरण में 'रास' काव्य रूप में प्रस्तुत किया है। जैन रास काव्यों की एक विशिष्ट भूमिका रही। जैन मंदिरों में श्रावकगण इन रास रचनाओं को रात्रि के समय ताल देते हुए और अंग संचालन के साथ गाया करते थे। चौदहवीं शताब्दी तक इस प्रकार की प्रवृत्ति का प्रचलन रहा। लेकिन बाद में इसे प्रतिबन्धित कर दिया गया और वे मात्र गेय रूप में ही प्रस्तुत किये जाने लगे। यह कहना अधिक समीचीन होगा कि जैन साहित्य में सबसे अधिक लोकप्रिय सर्जनात्मक विधा 'रास' ही थे। कुछ जैन कवियों ने रामायण और महाभारत की कथाओं के विशिष्ट पात्र राम और कृष्ण के चरित्रों को अनेक धार्मिक सिद्धान्तों और विश्वासों के अनुरूप चित्रित किया है। अन्त में यह कहना अधिक तर्क-संगत और आवश्यक प्रतीत होता है कि प्रस्तुत रास ग्रन्थों के काव्यकलागत मूल्यांकन की आज आवश्यकता है और यदि किसी सूत्र से व्यवस्था की जा सके तो यह शोध परियोजनात्मक अध्ययन की नवीन दिशा दे सकता है। सैद्धान्तिक आचार-व्यवहार तथा रीतिनीति के इतर इन रासों कृतियों में रोमांचक शैली की कतिपय रचनाएं अच्छो कलात्मक मूल्यों से परिपूर्ण हैं। 1. द्रष्टव्य--(१) रास भोर रासान्वयी काव्य (2) लेखक के शोध प्रबन्ध 'पृथ्वीराज रासो का लोकतात्विक मध्ययन' का प्रथम अध्याय (राज. विश्वविद्यालय, 1973) जैन साहित्यानुशीलन 143