Book Title: How To Do Jain Puja Author(s): Publisher: Unknown Catalog link: https://jainqq.org/explore/269760/1 JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLYPage #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ How to Do Jain Puja जैन पूजा करने वाले ध्यान दें 1)भगवान के 9 अंग सिवाय दुसरे कही पर पूजा न करें। पूजा करते वक्त एक अंग पर एक बारही तिलक करें / पाँच उंगलियोकी पूजा न करे। 2)भगवान के लांछन या परिकर में हाथी पुतली इत्यादि हो तो उनकी पूजा नहीं करेयाने उनको तिलक नहीं लगावे। दोष के भागीदार न बने। 3)जिनालय में पहले मूलनायक भगवान फिर आस-पास में आरस के प्रतिमाजी, फिर पंच धातु प्रतिमाजी, फिर सिद्धचक्र,वीसस्थानक जी की पूजा करे। 4) फिर सिद्ध भगवंतोकी पूजा करें / सिद्ध भगवंत अगर अरिहंत मुद्रा में हो तो ही नव अंग की पूजा करे। अगर मुद्रा अलग हैं तो सिर्फ अंगुठे की पूजा करें / 5)फिर गुरुमूर्ति की पूजा करे। एवं अंत में सम्यग-दृष्टी शासन रक्षक देव-देवी के कपाल में दाहिने अंगूठे से तिलक करना होता है। देव देवी की पूजा नव अंग नहीं करते। 6)भगवान के एक अंग को सिर्फ एक बार ही तिलक करना होता है। ज्यादा बार करने से चन्दन के रेले उतरते है एवं भगवान को घसारा लगता है | अंग भंग की संभावना बनती है। 7)जो लोग दोनों हाथ से भगवान को पकड़कर माथा नवाते है या सिर लगाते है वो भी आशाताना है, इस प्रकार सिर लगाने से हमारे शरीर का मैल, तेल, बाल या पसीना भगवान् को लगता है जो पापबंध का कारण बन जाता है। आशातना से बचे, जिनाज्ञा पूर्वक धर्मोध्यमकरे यही /