Book Title: Haribhadrasuri krut Chandappahachariya ni Ek Drushtant Katha Author(s): Saloni Joshi Publisher: ZZ_Anusandhan Catalog link: https://jainqq.org/explore/229693/1 JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLYPage #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [116] हरिभद्रसूरिकृत 'चंदप्पहचरिय'नी एक दृष्टांतकथा सलोनी जोषी अनुसंधान-५ (पृ. ६८)- 'केटलाक कथाघटको' अंतर्गत (१) 'परपुरुषनो संग निवारवा स्त्रीने पेटमां संताडी राखवी'-मां उदयकलश कृत 'शीलवती चोपाइ'मां मळती कथाना जेवी ज एक कथा आचार्य - हरिभद्रसूरि कृत 'चंदप्पहचरिय' ले. सं. १२२३)मां मळे छे. (गाथा १५३७-१७१६). कृति संक्षिप्तमां ते कथा आ प्रमाणे छ । हजी अप्रकाशित छे में तेनुं संपादन-कार्य हाथ पर लीधुं छे. उजेणी नगरीमा गिरिविक्रमसार राजानो धूर्तचूडामणि एवो मूळदेव नामनो मित्र हतो. स्त्रीओना शील विषये साशंक होवा छतां राजाना आग्रहथी ते जच्चंधा (जन्मांध कन्या)ने परण्यो । मूळदेवनी उत्कट प्रार्थना अने भक्तिथी प्रसन्न थईने पादरदेवताए जच्चंधाने चक्षु आप्यां । एकवार पोतानी दासी पासेथी दत्त श्रेष्ठिना रूप-गुणनी प्रशंसा सांभळी जच्चंधा दत्तमां अनुरक्त बनी । दासीनी सहायथी तेणे दत्तनो संग कर्यो । जच्चंधाना अंगोपांग, निरीक्षण करतां विचक्षण मूलदेवने तेना पर-पुरुष -संगनो ख्याल आवी गयो । 'आवं मारे त्यांज बन्युं के अन्यत्र पण बने छे तेनी तपास करी योग्य निर्णय लइश' आम विचारतो खिन्न थयेलो ते राजकुळमां जवा नीकळ्यो । रस्तामां तेणे शृंगार करीने जतां मिठ (महावत) ने जोयो । कुतूहलवशात् तेनो पीछो कर्यो । जोयुं तो राजानी पटराणी तेने मळवा आवती हती । मोडा आववा बदल ते मिठ राणीने हाथीना दोरडाथी मारतो हतो छतां य विनवणी करीने तेने मनावी लइने राणीए ते मिठ साथे भोगोपभोग को 1 आ जोइ आश्चर्य अनुभवतो मूळदेव घेर पाछो फर्यो । बीजा दिवसे राजमार्ग पर जता महाव्रतीने जोइने मूळदेव कुतूहलथी तेनी पाछळ गयो । मठमां प्रवेशीने ते व्रतीए पोतानां उपकरणो एक बाजु मूक्यां । पछी जमीन पर यंत्र आलेखी मंत्रोच्चार कर्यो । वक्षस्थळमांथी अंगुष्ठप्रमाण युवतीने बहार काढीने तेना पर मंत्रीत जळनो छंटकाव करता ते सुंदर युवती बनी Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [117] गइ / तेनी साथे भोग भोगवी ने ते महाव्रती कोइक कामसर बहार गयो / तरत ज ते युवतीए पोताना हृदयमांथी अंगुष्ठप्रमाण युवकने बहार काढी, मंत्रित जळनो अभिषेक करी तेने सुंदर युवक बनाव्यो / तेनी साथे यथेच्छ भोग भोगवी, व्रतीने आववानो समय थयो जाणीने फरी ते युवकने नानो बनावी, वक्षस्थळमां संताडी दीधो / महाव्रतीए आवीने ते युवतीने अंगुष्ठ प्रमाण बनावीने पोताना वक्षस्थळमां छुपावी दीधी / आ जोइने अत्यंत आश्चर्य अनुभवतो मूलदेव राजा पासे गयो अने तेमने बीजा दिवसे पोताना घेर भोजन माटे आमंत्रण आप्युं / पेला महाव्रती पासे जइ तेमने पण पारणुं करवा माटे आमंत्रण आप्यु / बीजा दिवसे भोजन समये राजा पधार्यो त्यारे मूळदेवे कर्वा - प्रियपात्रना साथ वगर स्वादिष्ट भोजनथी पण तृप्ति थती नथी / आप आफ्नी प्रिय राणीने बोलावो / पटराणीने बोलाववामां आवी / तेने पण आज वात कही तेनी पासे मिठने बोलावडाव्यो / पछी पेला महाव्रतीने कडं आप पण आपनी प्रियाने वक्षस्थळमांथी बहार काढो / विस्मित थतां महाव्रतीए मंत्रप्रयोगथी युवतीने उपस्थित करी / ते युवतीने पण पोताना प्रियतमने बोलाववा कर्तुं / महाव्रतीने आश्चर्य थयुं / ते युवतीए पण मंत्रित जळ छांटीने प्रियतमने उपस्थित कर्यो / पछी जच्चंधानो वारो आव्यो / तेनी पासे पण मूलदेवे दत्तने बोलावडाव्यो / आ सघळु जोइने राजा आश्चर्य पाम्या / मूलदेवे साची विगतो जणावी . - त्यारे क्रोधित थइ तेमणे सर्वने दंड आप्यो /