Book Title: Agam 33B Viraththao Dasamam Painnayam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पू. आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो। 33/2 वीरत्थव-दशमं पईण्णगसुत्तं मुनि दीपरत्नसागर Date: //2012 Jain Aagam Online Series 33/2 Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गंथाणक्कमो कम 1 विसय समणं मगवं महावीर सुतं / पिटटंको गाहा 1-43 / अणक्कम 1-43 3-5 [दीपरत्नसागर-संशोधितः ..... 'आगम सूत्र 33/2 Page 2 चंदावेज्झयं' Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 33/2 ____वीरत्थओ पइण्णयं [7 [3] [4] [7] नमिऊण जिणं जयजीवबंधवं भवियकुमुयरयणियरं / वीरं गिरिदधीरं थुणामि पयडत्थनामेहिं / / अरुह अरिहंत अरहंत देव जिन वीर परमकारुणिय / सव्वन्नु सव्वदरिसी पारय तिक्कालविउ नाह / / जय वीयराय केवलि तिहुयणगुरु सव्व तिहुयणवरिट्ठ / भयव तित्थयर ति य सक्केहिं - नमंसिय जिणिंद / / __सिरिवद्धमाण हरि हर कमलासन पहुम नामधेएहिं / अत्रत्थगुणजुएहिं जडमई वि सुयाणुसारेण / / [5] भयबीयंकुरभूयं कम्मं डहिऊणं झाणजलणेण / न रुहसि भववनगहणे तेण तुमं नाह अरुहोसि / / घोरुवसग्ग-परीसह-कसाय-करणाणि पाणिणं अरिणो / सयलाण-नाह ते हणसि जेण तेणा ऽरिहंतो सि / / वंदण-थुणण-नमंसण-पूयण-सक्करण-सिद्धिगमणम्मि | अरहो सि जेण वरपहु तेण तुमं होसि अरिहंतो || [8] अमर-नर-असुरवरपहुगणाण पूयाए जेण अरिहो सि | धीरत मणुमुक्को तेण तुमं देव अरिहंतो / / रहु गदि सेससंगहनिदरिसणमंतो गिरिगुहमणाणं / तं ते नत्थि दुयं पि हु जिणिंद तेणारहंतो सि || [10] रहमग्गंतो अंत पि मरणमवणीय जेण वरनाणा | संपत्तिनिययसरूवो जेण तुमं तेण अरहंतो / / न रहसि सद्दाइ मनोहरेसु अमनोहरेसु तं जेण / समयारंजियमण-करण-जोग तेणारहंतो सि || [12] अरिहा जोग्गा पूयाइयाण देविंद-ऽनुत्तरसुराई / ताण वि अंतो सीमाकोडी तं तेण अरहंतो / / [13] सिद्धि वहुसंगकीलापरो सि विजई सि मोहरिउग्गे | नंतसुहपुत्रपरिणइपरिगय तं तेण देवो ति / / [दीपरत्नसागर-संशोधितः ..... 'आगम सूत्र 33/2 चंदावेज्झयं' Page 3 [1] [11] Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [16] [21] [14] रागाइवेरिनिक्किंतणेण दुहओ विवयसमाहाणा / जयसत्तुक्करिसगुणाइएहिं तेणं जिणो देव / / [15] दुट्ठऽट्ठकम्मगंठिप्पबियारणलद्धलट्ठसंसद्द / तवसिरिवरंगणाकलियसोह तं तेण वीरो सि / / पढमवयगहणदिवसे संकंदणविनयकरणगयतण्हो / जाओ सि जेण वरमुनि अह तेण तुमं महावीरो / / [17] सचराचरजंतुदुहत्तभत्तयुयसत्त सत्तु-मित्तेसु / करुणरसरंजियमणो तेण तुमं परमकारुणिओ / / [18] जे भूय-भविस्स-भवंति भाव सब्भावभावणपरेण / नाणेण जेण जाणसि मन्नसि तं तेण सव्वन्नू / / [19] ते कसिणभुयणभवणोयरि ट्ठिया नियनियस्सरूवेण / सामन्नओऽबलोयसि तेण तुम सव्वदरिसि ति / / / [20] पारं कम्मस्स भवस्स वा वि सुयजलहिणो व नेयस्स | सव्वस्स गओ जेणं भन्नसि तं पारगो तेण / / पच्चुप्पन्न-अणागय-तीयद्धावत्तिणो पयत्था जे / करयलकलियाऽऽमलय व्व मुणसि तिक्कालविउ तेण / / [22] __नाहो सि नाहऽनाहाण भीमभवगहणमज्झवडियाण | उयएसदानओ मग्गनयणओ होसि तं जेण / / [23] रागो रई सुभेयरवत्थुसु जंतूण चित्तविनिवेसो | सो राओ दोसो उण तव्विवरीओ मुणेयव्वो / / [24] सो कमलासन-हरि-हर-दिनयरपमुहाण मानदलणेण / लद्धक्करसो पत्तो जिन तुह मूले तओ तुमए / / [25] जं मलण-दलण-विहलण-कवलणविसमच्छिजोयजीओ वि | कर-चरण-नासण-कररुह-अहरदलं वसइ अनुजं व / / [26] दोसो वि कुडिलकुंतल-भू-पम्हल-नयणतारियमिसेण / गुरु निक्करणं सूयइ तं मत्रे गुणकरे लहुणो / / [27] जइ वि बहुरूवधारी वसंति ते देव तुह सरीरम्मि | तक्कयविगाररहिओ तह यि तुम वीयरागो त्ति / / [दीपरत्नसागर-संशोधितः ..... 'आगम सूत्र 33/2 चंदावेज्झयं' Page 4 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [28] [29] [30] [31] [32] जं सव्वदव्व-पज्जवपत्तेयमनंतपरिणइसरूवं / जुगवं मुणाइ तिक्कालसंठियं केवलं तमिह / / तं ते अप्पडिहयसत्तिपसरमनवरयमदिगलं अत्थि | मुणिणो मुणियपयत्था तेण केवलि बिति / / पंचेदिसन्निणो जे तिहुअणसहेण तेऽत्थ गेझंति / तेसिं सद्धम्मनिओयणेण तं तिहुयणगुरु ति / / पत्तेयर-सुहुमेयरजिएसु गुरुदुहविलुप्पमाणेसु / सव्वेसु वि हियकारी तेसु तुमं तेण सव्वो सि / / बल-विरिय-सत्त-सोहग्ग-रूव-विन्नाण-नाणपरो सि / उत्तमपयकयवासो तेण तुमं तिहुयणवरिट्ठो / / पडिपुत्ररूव धन धम्मं कंति उज्जमजसाण मयसन्ना | ते अत्थि अविवला तुम्ह नाह तेयासि भयवंतो / / इह परलोयाईयं मयं ति वावन्नयंति सत्तविहं / तेण च्चिय परिवन्तो जिणेस तं तेण भयवंतो / / तित्थं चउविहसंघो पढमो च्चिय गणहरोऽहवा तत्थं / तत्तित्थकरणसीलो तं सि तुमं तेम तित्थयरो / / एवं गुणगणसक्कस्स कुणइ सक्को वि किमिह अच्छरियं [33] [34] [35] [36] अभिवंदणं जिणेसर ता सक्कऽभिवंदिय नमो ते / / [37] मनपज्जवोहि-उवसंत-खीणमोहा जिण ति भन्नंति / ताणं चिय तं इंदो परमिस्सरिया जिणिंदो त्ति / / [38] सिरिसिद्धत्थनरेसगिहम्मि धण-कणय-देस-कोसेहिं / वड्ढेसि तं जिनीसर तेण तुमं वद्धमाणे सि / / [39] हरि सि तुमं कमलालय करयलगय-संख-चक्क-सारंगो / दानवरिसो ति जिनवर तेण तुमं मन्नसे विण्हू / / [40] हरसि रयं जंतूणं बझं अभिंतरं न खटंगं / न य नीलकंठकलिओ हरो ति तं मन्नसे तह वि / / [41] कमलासणो वि जेणं दाणईचउहधम्मचउवयणो / ___ [दीपरत्नसागर-संशोधितः .... 'आगम सूत्र 33/2 चंदावेज्झयं' Page 5 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [42] हंसगमणो य गमणे तेण तुमं भन्नसे बंभो / / बुद्धं अवगयमेगट्ठियं ति जीवाइतत्तसविसेसं | वरविमलकेवलाओ तेण तुमं मन्नसे बुद्धो / / इय नामावलिसंथुय सिरिवीरजिणिंद मंदपुत्ररस्स | वियर करुणाइ जिनवर सिवपयमनहं धीरं वीर / / ___ [43] || 33/2 'वीरत्थव' दशमं पइण्णयं समत्तं मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादितश्च वीरत्थवो समत्तं [दीपरत्नसागर-संशोधितः ..... 'आगम सूत्र 33/2 Page 6 चंदावेज्झयं'