Book Title: Aagam Manjusha 20 Uvangsuttam Mool 09 Kappavadinsayaa
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [२०] कप्पवडिसियाणं * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मनि दीपरत्नसागर M.Com. M.Ed., Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 [email protected] Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ट अज्मयणा नेयमा पदमसरिसा, णवरं मायानो सरिसणामाओ / 20 // अज्झयणाणि 3-10 // निरयावलियातो समत्तातो टानिक्खेवो सोसि भाणियो आम-२०-> श्रीकप्पवडिसिया-जति णं भंते ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं उवंगाणं पढमस्स पग्गस्स निरयापलियाणं अयमट्टे पं० दोचस्स गं भंते ! वम्गस्स कप्पवडिसियाणं समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अज्झयणा पं०?, एवं खलु जयू ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं दस अजमायणा ५००-पउमे महापउमे भहे मुभद्दे पउमभरे पउमसेणे पउमगुम्मे नलिणिगुम्मे आणंदे नंदणे, जइ णं भंते ! समणेणं जाच संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं दस अज पउमगुम्म नलिणिगुम्मे आणंदे नंदणे, जइ णं भंते ! समणेणं जाच संपत्तेणं कप्पडिसियाणं दस अज्झयणा 50 पढमस्सणं भंने! अज्झयणस्स कप्पवडिसियार्ण समणेणं भगवया जाच के अट्टे पं०?, एवं खलु जंपू ! नेणं कालेणं. चंपा नामं नयरी होत्था, पुण्णभद्दे चेइए, कृणिए राया, पउमावई देवी, तत्थ ण चपाए नयरीए सेणियस्स रन्नो भजा कूणियस्स रन्नो चुमाउया काली नाम देवी होत्या मुकुमाला, नीसे णं कालीए देवीए पुने काले नाम कुमारे होत्था सुकुमाले०, तस्स णं कालस्स कुमारस्स पउमावई नामं देवी होत्था सोमाला जाव विहरति, तते णं सा पउमावई देवी अन्नया कयाई तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अभिनरनो सचित्तकम्मे जाव सीहं सुमिणे पासित्तार्ण पडिबुद्धा, एवं जम्मणं जहा महाबलस्स जाव नामधिज, जम्हा णं अम्हं इमे दारए कालस्स कुमारस्स पुने पउमावईए देवीए अत्तए नं होउणं अम्हें इमस्स दारगस्स नामधिज पउमेनि २.सेसं जहा महाचलस्स, अट्टओ दातो, जाव पासायवरगते विहरति, सामी समोसरिए, परिसा निग्गया, कणिते सरिए, परिसा निग्गया, कृणिते निगते, पउमेचि जहा महचले निम्गते धम्म सोचा तहेब अम्मापितिआपुच्छणा जाव पइए, अणगारे जाए जाच गुत्तभयारी. तते णं से पउमे अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमादियाई एक्कारस अंगाई अहिजइ ना बहुहिं चउत्थछट्ठम जाब विहरति, तते णं से पउमे अणगारे तेणं ओरालेणं जहा मेहो नहेब धम्मजागरिया चिंता एवं जहेब मेहो तहेव समर्ण भगवं० आपुच्छित विउर्ल जाव पाओवगते समाणे तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एकारस अंगाई, बहुपडिपुण्णाई पंच वासाई सामन्नपरियाए, मासियाए संलेहणाए सदि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता आणुपुवीए कालगते, थेरा ओतिन्ना, भगर्व गोयमे पुच्छइ, सामी कहेइ, जाव सढि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता आलोइय० उइदं चंदिम सोहम्मे कप्पे देवताए उबबन्ने दो सागराई, से णं भंते ! पउमे देवे तातो देवलोगातो आउक्खएणं पुच्छा, गो०! महाविदेहे वासे जहा दृढपइन्नो जाव अंतं काहिति, एवं खलु जंचू ! समणेणं जाव संपत्तेणं कप्पवडिसियाणं पढमस्स अझ. यणस्स अयमढे पण्णतेत्तिवेमि ।२१॥पउमजावणं 9-1 // जइ णं भंते ! समणेणं भगवया जाच संपत्तेणं कप्पबडिसियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पं० दोच्चस्स णं भंते ! अज्झयणस्स के अट्टे पं०१, एवं खलु जंचू ! तेणं कालेणं० चंपा नामं नयरी होत्था, पुन्नभहे चेइए. कूणिए राया, पउमावई देवी, तत्थ णं चपाए नयरीए सेणियस्स रनो भजा कोणियस्स रन्नो चुल्लमाउया सुकाली नामं देवी होत्या, तीसे णं सुकालीए पुने सुकाले नाम कुमारे. तम्स णं सुकालस्स कुमारस्स महापउमा नाम देवी होत्था सुकुमाला, तते णं सा महापउमा देवी अन्नदा कयाई तंसि तारिसगंसि एवं तहेव महापउमे नामं दारते जाव सिज्झिहिति, नवरं ईसाणे कप्पे उववाओ उकोसदिइओ, एवं खलु जंचू ! समणेणं भगवया जाच संपनेर्ण०॥ महापउमज्झयण 9.2 // एवं सेसाबि अट्ट नेयत्रा, मातातो सरिसनामाओ, कालादीणं दरुहं पुत्ता आणुपुत्रीए, 'दोण्डं च पंच चनारि निष्हं निर्ह च हॉनि निन्नेव / दोण्हं ते पढ़मो सोहम्मे चिंतितो इंसाणे ततितो सणकुमारे चउत्थी माहिदे पंचमओ बंभलोए छट्ठो लंतए सत्तमओ महामुके अट्ठमओ सहस्सारे नवमओ पाणते दसमओ अचुए, सवत्थ उक्कोसठिई भाणियबा, महाविदेहे सिद्धी / 22 // 9.3-10 // कप्पवडिसियाओ समत्ताओ, चितितो बग्गो दस अज्झयणा९ आगम-२१→ श्रीपुफिया-जति णं भंते समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं उबंगाणं